सरदार पटेल कहते थे कि `यदि मणि न होती तो मै न जाने कब का मर गया होता ! मणि बेन सरदार पटेल की पुत्री थीं। वे इस तथ्य की परिचायक थीं कि मानव का सच्चा आभूषण सादगी है। मणि बेन अपने पिता को कुछ दवा पिला रही थी कि वरिष्ठ कांग्रेसी महावीर त्यागी वहाँ प्रविष्ट हुए। बातचीत के दौरान उन्होने देखा कि सरदार पटेल की धोती में जगह-जगह पैबन्द लगे है। एक और धोती वे इसी तरह सीं रही थीं। त्यागी जी ने यह देखकर कहा-``मणि बेन ! तू तो एक ऐसी बाप की बेटी हो, जिसने साल भर में भारत को एक चक्रवर्ती राज्य बना दिया । तुम्हें संकोच नही होता। तुम्हारे एक आदेश पर कई धोतियाँ, सरदार व तुम्हारे लिए आ सकती है ।´´ मणि का उत्तर था- शरम उन्हे आए, जो झूठ बोलते है, बेईमानी करते है और शेखी बघारते है। हमे कैसी शरम ! डॉ0 सुशीला नय्यर, जो वहाँ बैठी थी, ने कहा- `किससे बात कर रहे है आप महावीर जी ! मणि दिन भर चरखा कातकर सूत से धोती-कुरते बनाती है । फट जाते है तो उसी से अपने लिए धोती ब्लाउज बना लेती है । आपकी तरह सरदार का कपडा खद्दर भंडार से नही आता । आज के झकाझक सफेद कपडे या सफारी पहनने वाले नेताओ के लिए यह एक तमाचा है ।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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