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२- अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं। –जवाहरलाल नेहरू
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३- वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे । –अज्ञात
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४- भय से तब तक ही डरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिये । — पंचतंत्र
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५- ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। - बर्ट्रेंड रसेल
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६- डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है | -– एमर्सन
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७- अभय-दान सबसे बडा दान है । — विवेकानंद
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८- भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं । — विवेकानंद
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९- गलती करने में कोई गलती नहीं है । गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है । — एल्बर्ट हब्बार्ड
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१०- अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं । — अलेक्जेन्डर पोप
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११- असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया गया । — श्रीरामशर्मा आचार्य
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१२- जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है । — हक्सले
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१३- जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता । — हर्मन मेलविल
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१४- असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है । — नैपोलियन हिल
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१५- प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं । — जान मैकनरो
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१६- हार का स्वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है।— माल्कम फोर्बस
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१७- यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ कम्पटीशन कम है ।— इंदिरा गांधी
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१८- मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है ; पर असफला की सीढी है , हर किसी को प्रसन्न करने की चाह।— बिल कोस्बी
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१९- मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। - पुरुषोत्तमदास टंडन
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२०- आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है । — सेनेका
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२१- मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा
-– विलियम ऑर्थर वार्ड
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२२- दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है । — भर्तृहरि
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२३- रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर।-– चेस्टर फ़ील्ड
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२४- गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं । — डेनियल
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