गुरुवार, 23 अक्तूबर 2008

परम्परा और विवेक


एक व्यापारी एक घोड़े पर नमक और एक गधे पर रुई की गॉठ लादे जा रहा था। रास्ते में एक नदी मिली। पानी में घुसते ही घोड़े ने पानी में डुबकी लगाई तो काफी नमक पानी में घुल गया। गधे ने घोड़े से पूछा, यह क्या कर रहे हो ? घोड़े ने कहा, वनज हलका कर रहा हूँ। यह सुनकर गधे न भी दो डुबकी लगाई, पर उससे गॉंठ भीगकर इतनी भारी हो गई कि उसे ढोने में गधे की जान आफत में पड़ गई।

कुरीतियों, कुप्रचलनों की बिना समझे-बूझे की गई नकल कठिनाइयॉं बढ़ाती हैं, सुविधा नहीं।




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