मरते समय बालि अंगद को भगवान् राम को सौंप गए थे। अंगद राम की सेना के वरिष्ठ सेनापतियों में से थे। उन्होंने रावण की सभा में अपने बल का प्रदर्शन करके रावण को भी चुनौती दी। छोटे से धर्मात्मा का बल अनीतिवान राज्याध्यक्ष से भी बड़ा होता हैं। वानर स्वल्प शक्तिवान थे, तो भी उन्होंने अधर्म का प्रतिरोध करने में अपना सर्वस्व झोंक दिया और मारे जाने की तनिक भी परवाह नहीं की। ऐसे शूरवीर धर्मात्मा का जीवन संसार में धन्य माना जाता हैं।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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