रविवार, 12 सितंबर 2010

क्या करें कामयाबी के लिए - श्री चन्द्र प्रभ जी - 3

1. मुश्किलों में भी मुस्कराना मत भूलिये। किसी भी कार्य को करने से पहले मुस्कराना उस कार्य के श्रीगणेश करने का सबसे अच्छा तरीका हैं। 
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2. रात-रात भर जगकर पढ़ाई करने वालो के बजाय वे लोग अधिक सफल होते हैं जो प्रतिदिन कुछ घण्टे ही सही, पर वर्षभर नियमित अभ्यास करते रहे हैं।

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3. यदि आप अपनी सोच और नजरियो को हमेशा सकारात्मक रखते हैं, तो कहा जायेगा कि आपको जीने की कला आ गई हैं। 

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4. दूसरों की मदद कीजिये, वे स्वतः आपके मददगार बन जायेंगे।

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5. जीते जी आप जिनके न हो पाये, कम से कम मरते वक्त तो उनके जरूर हो जाये।

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6. ओठों से हॅंसना अच्छी बात हैं, आखो से हॅंसना उससे भी अच्छी बात हैं, पर यदि आप दातो से ज्यादा हॅंसते हैं, तो उस पर अंकुश लगाना ही बेहतर हैं।

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7. सावधान ! आपकी थोड़ी सी असावधानी आपके लिए कई मुसीबतों के पहाड़ खड़ी कर सकती हैं।

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8. विनोद नमक की तरह हैं, उसे भोजन मत बनाइये।

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9. आवश्यकता को इतना मत बढ़ाइये कि वे द्रोपदी का चीर बन जाये।

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10. आप पढ़-लिख गये कि तो इसका अर्थ यह नहीं कि आप अपने पूवर्जों को मूर्ख समझे। आने वाली पीढ़ी आपको भी मूर्ख समझने की परम्परा दोहरायेगी।

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11. आप कुछ भी करे, पर ईश्वर के अनुग्रह को कभी न भूले। 

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12. अपने दाये हाथ का नाम रखिये-‘शुभ लाभ’, और बाये हाथ का नाम रखिये-‘शुभ खर्च’। फिर दोनो का उपयोग करते रहिये, आपको आध्यात्मिक खुशी मिलेगी।

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13. आपके पास दो रूपये हैं, तो एक से रोटी खरीदिये और दूसरे से अच्छी किताब। रोटी आपको जीवन देगी और किताब आपको जीने की कला।

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14. औरों से वैसी अपेक्षा मत रखिये, जैसी आप अपने आप से रखते हैं, वरना झुन्झुलाहट पैदा होगी।

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15. र्धर्य और शान्ति रखिये, विशेष रूप से उस समय जब कोई नाराज होकर आपके बुरा-भला कहने लगे।

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16. झगड़े को खतम करने की तत्काल औषधि हैं, कहिये-‘क्षमा कीजिये’।

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17. परिवर्तन से मत डरिये, वरना आप नई प्रगति से वंचित रह जायेंगे।

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18. सावधान ! फिसलते पावों को सम्हाला जा सकता हैं, पर जुबान फिसल जाये तो गहरा जख्म कर देती हैं।

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19. गलत रास्ते पर कदम बढ़ भी चुके हैं, तो सम्हल जायें। भोर का भटका शाम को लौट आये, तो उसे भटका नहीं कहते है।

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20. असफल होने पर भाग्य को कोसने की बजाय यह देखिये कि प्रबन्धन कहा कमजोर रहा।

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21. इससे पहले कि कल आप पर काम का अतिरिक्त बोझ बढ़े, आप उसे आज ही करना शुरू कर दीजिये।

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22. तीन काम अवश्य कीजिये- बचपन में ज्ञान का अर्जन, जवानी में धन का अर्जन, बुढ़ापे में पुण्य का अर्जन।

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23. मेहनत से मत कतराइये, विकास के शिखरों तक पहुचने का वही रास्ता हैं।

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24. आशा को अपनी सहेली बनाइये और उत्साह को अपना मित्र। इन्हें साथ लीजिये और मन्जिल तय कीजिये। 

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