गुरुवार, 16 जुलाई 2009

महापुरुषों के विचार - ६

१- अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है । — आइन्स्टीन
-------------------
२- शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये । — जार्ज बर्नार्ड शा
-------------------
३- दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता ।
— अज्ञात
-------------------
४- एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है । - जिग जिग्लर
-------------------
५- दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो । — जेम्स देवर
-------------------
६- सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने कीकोशिश करनी चाहिये ।
— थामस ह. हक्सले
-------------------
७- शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है । — बर्क
-------------------
८- अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है । — डिजरायली
-------------------
९- ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है। — थामस फुलर
-------------------
१०- प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी । — श्रीराम शर्मा , आचार्य
-------------------
११- बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है। - स्वामी रामदेव
-------------------
१२- जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ। जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।— अरबी कहावत
-------------------
१३- सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात
-------------------
१४- बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है | – शेख सादी
-------------------
१५- चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं। - प्रेमचन्द
-------------------
१६ - जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है। - वासवदत्ता
-------------------
१७- सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है । –कबीर
-------------------
१८- विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है । — मान्तेन
-------------------
१९- भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है ।— डा। शाकली
-------------------
२०- किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है। — जान राइस
-------------------
२१- अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है। — मैथिलीशरण गुप्त
-------------------
२२- नर हो न निराश करो मन को । कुछ काम करो , कुछ काम करो । जग में रहकर कुछ नाम करो ॥
— मैथिलीशरण गुप्त
-------------------
२३- निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है । — प्रेमचन्द
-------------------
२४- खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो | – शेख सादी

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin