गुरुवार, 16 जुलाई 2009

महापुरुषों के विचार - ७

१- निराशा मूर्खता का परिणाम है। - डिज़रायली
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२- मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए। - हितोपदेश
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३- दो आदमी एक ही वक्‍त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता है और दूसरे को तारे ।
— फ्रेडरिक लेंगब्रीज
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४- भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है । — विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार
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५- हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती । — अलबर्ट आइन्स्टीन
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६- भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है । — मार्क ट्वेन
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७- कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है । — फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )
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८- हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है । -— आचार्य विनबा भावे
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९- उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी । -— खुशवन्त सिंह
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१०- आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है । —अज्ञात
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११- हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये ।
— मार्टिन लुथर किंग

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१२- हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है। —अज्ञात
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१३- सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते | -– सल्वाडोर डाली
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१४- जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है । -– सुकरात
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१५- जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें। जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती।-– हेनरी वान डायक
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१६- क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त। —अज्ञात
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१७- यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता ) है । —अज्ञात

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१८- यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है। — इंदिरा गांधी
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१९- हे भगवान ! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो । —अज्ञात
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२०- यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो । —अज्ञात
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२१- जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं। –सुधांशु महाराज
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२२- मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता । — अज्ञात
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२३- धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है । — डिजरायली
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२४- सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें । - पं श्री राम शर्मा आचार्य

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