शुक्रवार, 10 जून 2011

अखण्ड ज्योति अगस्त 1979

1. प्रज्ञावतार की पुण्य वेला

2. सृष्टि क्रम में सृष्टा की अवतरण प्रक्रिया

3. अवतार का प्रयोजन और स्वरूप

4. अवतार के प्रकटीकरण और प्रमाण

5. युगान्तरीय चेतना का अवतरण सुनिश्चित

6. आस्था संकट की विभीषिका और उससे निवृति

7. समस्याओं के समाधान और भविष्य निर्धारण का सुनिश्चित आधार

8. युग अवतार प्रज्ञावतार

9. युग शक्ति का अवतरण श्रद्धा और विवेक का संगम

10. नवयुग का आधार अश्रद्धा का उन्मूलन और श्रद्धा का सम्वर्धन

11. नवयुग की सुनिश्चित सम्भावना में श्रद्धा तत्व की भूमिका

12. जाग्रत आत्माओं द्वारा आस्थाओं का उन्नयन

13. धर्म श्रद्धा का सृजनात्मक सदुपयोग

14. युग देवता की दो प्रत्यक्ष प्रेरणायें

15. प्रज्ञावतार का स्वरूप और क्रिया-कलाप

16. कार्य क्षेत्र का विस्तार और प्रबन्ध

17. कलंक और आक्रमण से निष्कलंक की सुरक्षा

18. उद्दात अनुदानो के लिए युग चेतना का आह्वान

19. सुरक्षा साधना का समर्थ ब्रह्मास्त्र

20. गायत्री नगर में तीर्थ सेवन की नई व्यवस्था

21. कुछ सामयिक सूचनाएं और अपेक्षाएं

22. युग निर्माताओं से

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