सोमवार, 23 मई 2011

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1965

1. अन्तःकरण की आवाज सुनो और उसका अनुसरण करो

2. प्रार्थना को दैनिक जीवन में प्रमुख स्थान मिले

3. आत्म-शक्ति का अकूत भण्डार

4. श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं

5. भारतीय संस्कृति मानवता का वरदान

6. वसुधैव कुटुम्बकम

7. जीवन एक वरदान हैं, इसे वरदान की तरह जिए

8. सुन्दरता बढ़ाइये पर साथ ही आन्तरिक पवित्रता भी

9. निग्रहीत मन की अपार सामर्थ्य

10. सर्वनाशी क्रोध

11. धन का सही उपार्जन और सही उपयोग ही उचित हैं

12. दैनिक जीवन में विनीत बने रहिए

13. जीवन को स्वस्थ, सार्थक एवं सुखी बनाइये

14. भारत के लिए सर्वस्व अपर्ण करने वाली बहन-निवेदिता

15. हमारी वीरता अक्षुण्ण रहनी चाहिए

16. मधु संचय

17. आदर्श गुरू-शिष्य परम्पर फिर जगे

18. सुखी न भयउँ ‘अभय’ की नाई

19. घर छोड़कर भागना पाप हैं

20. काम में लगन भी हो और भावना भी

21. कर्ज से छुटकारा पाना ही ठीक हैं

22. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

23. गीत-उद्बोधन

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