1. एकाग्रता।
2. अनासक्ति और भूलने की क्षमता।
4. सकारात्मक विचार।
5. भावनात्मक लगाव को कम करिए, जीवन को सरलता से लीजिए।
6. समस्याओं और कठिनाइयों का स्वागत कीजिए।
7. हर बात का कोई कारण अवश्य होता हैं, कुछ अचानक नहीं होता है।
8. मौन, एकांत और आत्मनिरीक्षण।
9. भयमुक्त हो।
10. हीनभाव से दूर रहे।
11. समय बरबाद मत कीजिए।
12. मनोवेगों को नियन्त्रित कीजिए।
13. परेशानी में एकदम प्रतिक्रिया नही करे।
14. भूतकाल का चिंतन और भविष्य की चिंता।
15. आप अपने भाग्य के निर्माता हैं।
16. दूसरों की सन्तुष्ठि से पहले आत्मसन्तुष्ठि।
17. कमजोरियों को स्वीकारियें।
18. अवचेतन मन को गंदगी से न भरिए।
19. बिना मांगे सलाह न दीजिए, टीका-टिप्पणी करने से बचिए।
20. कर्म करने के अहंकार की भावना का त्याग।
21. सदैव आशावादी रहिए।
22. ‘‘नहीं’’ कहना सीखिए।
23. टालने की आदत से बचिए।
24. हमेशा परमात्मा के समीप रहिए।
25. संसार में कुछ भी अत्यावश्यक या अपरिहार्य नहीं।
26. जीवन में मुफ्त कुछ भी नहीं।
27. कर्म करते हुए ही आनंद लीजिए, फल का इंतजार मत कीजिए।
28. परिवर्तनों को अपनाइये।
29. लालच छोडि़ए, प्रत्येक वस्तु परमात्मा की हैं।
30. छोटे-छोटे कार्यो को महत्त्व दीजिए।
31. निर्णय व चुनाव करते समय अस्थिर या चंचल न रहे।
32. आप जितना देते हैं, उससे अधिक पाते हैं।
33. सारे विश्व को अपना परिवार समझिए।
34. सांसारिक लगाव कम कीजिए।
35. अच्छी संगति चुनिए।
36. सदैव मुस्कराइये।
37. दूसरों से आशायें मत करिए।
38. सांसारिक वस्तुओं का संग्रह कम करिए।
39. समस्याएं जीवन का अभिन्न अंग हैं।
40. जितना लें, उससे अधिक दे।
41. बंधनों से ऊपर उठिए।
42. स्वस्थ मन के लिए सात्विक भोजन।
43. नियमित व्यायाम।
44. विश्राम और शिथिलीकरण।
45. अच्छी नींद लीजिए।
46. प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाए।
47. मृत्यु से भय क्यों ?
48. पहल आपको ही करनी होगी।
49. संसार को बदलने के लिए स्वयं को बदलिए।
50. बुराइयों को बदला न लीजिए।
51. शंका-संदेह नहीं, विश्वास रखिए।
52. अपने में ईमानदार रहिए।
53. संसार द्वंद्वात्मक हैं।
54. केवल परमात्मा पर निर्भर रहिए।
55. अपनी संतान को परमात्मा की संतान समझिए।
56. उचित रंगो का चुनाव।
57. सही मुद्राओं में रहे।
58. मधुर संगीत सुनिए।
59. प्रकृति के साथ रहिए।
60. स्वच्छ और सुरूचिपूर्ण वातावरण।
61. आपके मन पर तापक्रम, वायु प्रदुषण, नमी और शोर प्रभाव डालते है।
62. सुंदर चित्र और फोटो लगाइये।
63. कूड़े-करकट को फेंकते रहिए।
64. हँसिए और हँसाइए।
65. भविष्य जानने को उत्सुक न हो।
66. लालसा और इच्छाओं पर नियन्त्रण।
67. धन कमाने की दौड़ में शामिल न हो।
68. समय न होने का बहाना न बनाइये।
69. निरंतर विकास करिए।
70. कुछ भी बरबाद न कीजिए।
71. छोटी-छोटी बातों पर परेशान न होइए।
72. गुस्सा कमजोरी की निशानी हैं।
73. अहं त्यागिए, आपके बिना भी संसार चल सकता हैं।
74. अपनी समस्याओं व कठिनाइयों का विज्ञापन मत करिए।
75. सहनशीलता का विकास कीजिए।
76. सभी धर्म अच्छे हैं।
77. हर विषय में न उलझे, एक विषय के ही विशेषज्ञ बने।
78. बेझिझक सहायता लीजिए और दीजिए।
79. प्रत्येक क्षण का आनंद लीजिए।
80. प्रत्येक से शिक्षा ले।
81. ‘‘सर्वश्रेष्ठ’’ को ही उद्धेश्य बनाकर चलें।
82. शिष्टाचार और व्यवहार बनाए।
83. किसी के बारे में न बुरा सोचें और न बुरा बोले।
84. सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं।
85. हर परिस्थिति से शिक्षा ले।
86. तुलना न करे।
87. अपने निर्णय स्वयं ले।
88. सराहना करना सीखिए।
89. ऊँचाई छूने पर और ज्यादा विनम्र बने।
90. परमात्मा द्वारा दिए हर सुख के लिए उसको धन्यवाद दीजिए।
91. दूसरों को सदैव गलत मत समझिए।
92. सत्ता और शक्ति के पीछे भागे नहीं, उनको अपने आप आने दे।
93. चीजों को छोड़ना सीखिए।
94. बाहरी परिस्थितियों में तनाव पैदा करने की शक्ति नहीं।
95. अप्रिय घटनाओं को भयंकर मत बनाइए।
96. क्या आप अपने का ऊबा हुआ और अकेला महसूस करते है ?
97. किसी की असहमति या अस्विकृति से परेशान न हो।
98. व्यवहार और बातचीत में आत्मकेन्द्रित होने से बचें।
99. बुरा व्यवहार करने वाले से लडि़ए मत।
100. आदर्शवाद के तनाव से बचिए।
101. परिस्थितियों के साथ सामन्जस्य और समझौता करना सीखिए।
102. दूसरों को प्रभावित करने के चक्कर में मत रहिए।
103. अपने विचारों को शीघ्रता से बदलना सीखिए।
104. दुखों और दुर्भाग्य में भी उन्नति करना जारी रखिए।
105. अपने जीवन साथी से असामान्य आशाए न रखे।
106. एक-एक दिन का आनंद लेकर जीओ।
107. अपने मन की रफ्तार कम कीजिए।
108. क्या आपकी बातचीत का अंत हमेशा गुस्से और दुःख में होता हैं।
109. एक समय में एक समस्या से निपटिए।
110. अपने दिमाग को खाली मत छोडि़ए, सदा कुछ लक्ष्य रखिए।
111. विपत्तियों की कल्पना नहीं, उनका सामना कीजिए।
112. खराब मूड में भी अपने कार्यो को रोकिए नहीं।
113. लगातार शिकायत और कलह करना छोडि़ए।
114. दूसरों को खुश व सन्तुष्ठ रखने में अपनी शक्ति नष्ट न करिए।
115. सोचिए कम, करिए ज्यादा।
116. दूसरों में दोष निकालने की आदत से बचिए।
117. दूसरों को बदलने की कोशिश मत कीजिए।
118. ज्यादा से ज्यादा सतोगुण विकसित कीजिए।
119. दूसरों की सेवा करते समय स्वयं को नुकसान न पहुँचाए।
120. जीवन में हर चीज को स्वीकार करना सीखे।
121. बुरे से घृणा मत करे।
122. दूसरों को आश्रित व अपंग न बनाए।
123. किसी का पक्षपात न करे।
124. कमजोर और असहाय का शोषण न करे।
125. बाहरी पूजा-पाठ व कर्मकाण्ड तक सीमित न रहे।
126. झूठी तपस्या से शरीर को कष्ट न पहुँचाए।
127. नकलची या अनुयायी मत बने।
128. जीवन में किसी चीज का प्रतिरोध न करे।
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