मंगलवार, 11 जनवरी 2011

परिवार में रखिए संस्कार की कार

1. परिवार मे बैर-विरोध के कैंची नहीं, प्रेम और मोहब्बत के सुई-धागे की जरूरत हैं ताकि टूटते हुए रिश्तों को फिर से सांधा जा सके।
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2. हमें मालिक बनकर नहीं माली बनकर परिवार को सम्हालना चाहिए। माली उपवन के छोट-से-पौधे का ख्याल रखता हैं पर किसी पर मालिकाना हक नहीं जताता।

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3. बेटी को लक्ष्मी कहते हैं। पर बहु को गृहलक्ष्मी। लक्ष्मी आती हैं, वापस जाती भी हैं, पर गृहलक्ष्मी सदा घर में बनी रहे इस हेतु प्रेम का रस घोलते रहिए।

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4. मंदिर में हम आधा घंटा रहते हैं पर घर में हम 24 घंटे रहते हैं। अपने धर्म की शुरूआत घर से ही कीजिए। घर में मंदिर नहीं घर को ही मंदिर बना लजिए।

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5. दुनिया में दो लोगों को सबसे ज्यादा प्यार कीजिए- पहले वे जिन्होंने आपको जन्म दिया, दूसरे वे जिन्होंने आपके लिए जन्म लिया।

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6. बहु से राड़ मत कीजिए, उसका लाड कीजिए। ओछा नहीं अच्छा व्यवहार कीजिए, नही तो वक्त आने पर वह तुम्हारे पुत्र के साथ वनवास तो चली जाएगी पर यह कहकार कि इस सासू माँ के साथ रहने की बजाय वनवास में रहना ज्यादा अच्छा है। 

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7. बहुरानी ! अपनी सासू माँ को उतने वर्ष जरूर निभा लेना जितने वर्ष का उन्होंने तुम्हें पति दिया। सास से कभी जुदा मत होना क्योंकि यही वह महिला हैं जिसकी कोख में तुम्हारा सुहाग पला हैं।

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8. जिन मूर्तियों को हम बनाते हैं हम उनकी तो पूजा करते हैं, पर जिन्होंने हमें बनाया हम उन माता-पिता की पूजा क्यों नहीं करते

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9. परिवार में वह बड़ा नहीं जो उम्र में बड़ा हो या पैसा ज्यादा कमाता हो, परिवार में वह बड़ा हैं जो परिवार को एक रखने के लिए वक्त आने पर बड़प्पन दिखाता हैं।

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10. सास के कहे को बुरा मत मानिए। सास शक्कर की हो तब भी टक्कर तो मारती ही है।

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11. घर का स्वर्ग हैं भाई-भाई के बीच प्रेम और त्याग की भावना। घर का नरक हैं मनमुटाव और स्वार्थ की भावना।

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12. बच्चों को कार नहीं संस्कार की कार दीजिए इससे आपका गौरव बढ़ेगा और बच्चे बेहतर नागरिक बनेंगे।

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13. बुढ़ापे को विषाद नहीं प्रसाद बनाएँ। 21 के थे तो शादी की तैयारी की थी, पर 51 के होने पर शांति की तैयारी शरू कर दें। दादा बन जाएँ तो दादागिरी छोड़ दें और परदादा बन जाएँ तो दुनियादारी।

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14. परिवार में जब भी धन का बंटवारा हो तो अपने हिस्से में एक धन जरूर लेना वह हैं माता-पिता की सेवा। दूसरे धन तो धूप-छांव के खेल की तरह हैं, पर माता-पिता की सेवा इस जन्म में भी काम आएगी और अगले जन्म में भी

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15. परिवार में सदा मधुर वाणी का उपयोग कीजिए। कड़वे वचनों के तीर घाव कर देते हैं । याद रखिए। दीवार में कील ठोककर वापस निकाल भी दी जाए फिर भी निशान जरूर शेष रहता हैं।
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साभार- संबोधि टाइम्स, संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी

यह संकलन हमें श्री सम्पत लाल काठेड़, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड रामपुरा-आगूँचा से प्राप्त हुआ हैं। धन्यवाद।
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