शनिवार, 18 जून 2011

अखण्ड ज्योति जुलाई 1986

1. सर्वश्रेष्ठ कलाकारिता

2. विज्ञानमानन्द ब्रह्म

3. समदर्शन और व्यवहार कौशल

4. ‘‘ईक्षते योगयुक्तामा सर्वत्र समदर्शनः’’

5. दिशा तो हमें ही चुननी पड़ेगी

6. दृष्टिकोण का परिष्कार

7. संकल्प शक्ति का कल्पवृक्ष

8. सामान्य एवं विशिष्ट फलदायी साधनाएँ

9. बहिर्मौन और अन्तर्मौन

10. प्राणायाम और प्राणशक्ति

11. नादब्रह्म की साधना

12. वरदान सत्प्रयोजनो के लिए ही मिलते है

13. ‘‘अहमिन्द्रो न पराजिग्ये’’

14. दुर्भाग्य सौभाग्य बना

15. प्रसन्नता का अक्षय भण्डार

16. ‘‘मन्युरसि मन्यु में देहि’’

17. प्राण विद्युत के भले-बुरे उपयोग-2

18. बूढ़े होने की बात ही न सोचें

19. मुर्दों के पुनर्जीवन की सम्भावना

20. लार्ड डफरिन का प्रेत से वास्ता पड़ा

21. मृत्यु जीवन का अन्त नहीं

22. भगवान के दरबार में न्याय

23. सनकियों की इस दुनिया में कमी नहीं

24. प्रतिभाओं के उन्माद

25. क्या विज्ञान मनुष्य की अन्तरात्मा को भी छीन लेगा

26. यज्ञ से सिद्धियों की प्राप्ति

27. पितृ ऋण और श्राद्ध तर्पण

28. सज्जनों की अग्नि परीक्षा

29. अपनो से अपनी बात

30. अपनी गतिविधियों में प्रखरता लायें

31. तुलसी की पौध का इन्ही दिनों आरोपण

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