शनिवार, 11 जून 2011

अखण्ड ज्योति जुलाई 1980

1. चरणपीठों की स्थापना प्रत्येक गांव में हो

2. तीन असाधारण सौभाग्य

3. महामानवों से सम्बद्ध उपकरण

4. भवबन्धनों से मुक्ति के लिए सम्बन्धों का पुनर्निर्धारण

5. क्या मनुष्य सर्वतः स्वतन्त्र हैं ?

6. बुद्धिमान होने के कारण मनुष्य सर्वश्रेष्ठ नहीं हैं

7. दैवी प्रकोपों में मानवी दुष्कृत भी सहयोगी

8. समग्र सफलतओं का मूलभूत आधार

9. आत्मिक विकास के लिए स्वप्नो का उपयोग

10. परावलम्बन अमरबेल की तरह

11. इच्छित दिशा में जीवधारियों का विकास

12. क्या मानवी प्रतिभा ध्वंस में ही लगनी चाहिए

13. अन्तरिक्ष के प्रचण्ड ऊर्जा स्त्रोत

14. जीवन से भागिए नहीं, उसे स्वीकार कीजिए

15. सत्यनिष्ठा के अनुकरणीय प्रसंग

16. जिनसे मौत भी डर गई

17. अनीति के दूरगामी दुष्परिणाम

18. प्रकाश की अपराजेयता

19. वृद्धावस्था शरीर का नहीं मन का रोग

20. आत्मिक प्रगति के तीन सुनिश्चित आधार अवलम्बन

21. दिव्य अनुदान दिव्य प्रयोजनों के लिए

22. अब सभी जाग्रत परिजनों को यह लाभ मिलेगा

23. आत्म श्रेय और दैवी अनुग्रह पाने का दुहरा सुयोग

24. दिव्य अनुदानों का सुयोग सौभाग्य

25. ध्यान मुद्रा साधक का निजी पुरूषार्थ

26. अनुदानों का ग्रहण अभ्यास

27. आदमी की आह

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