बुधवार, 18 मई 2011

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1959

1. समदर्शी

2. अखण्ड ज्योति की भावी विधि व्यवस्था

3. सच्चे परिब्राजक ही राष्ट्र को ऊँचा उठा सकते हैं

4. हिंसा और अहिंसा का आधार हमारी मनोवृत्ति ही हैं

5. भारतीय संस्कृति मानवता प्रधान हैं

6. मृत्यु के बाद भी हम जीवित रहते हैं

7. ब्राह्मण अपने कर्तव्य की उपेक्षा न करे

8. भय छोडि़ये-निर्भय रहिए

9. हमारा जीवन ‘‘दिव्य’’ क्यों नहीं हो पाता ?

10. स्वर-विज्ञान और स्वास्थ्य-रक्षा

11. दुःख का कारण पाप ही नहीं हैं

12. वास्तविक प्रार्थना का सच्चा स्वरूप

13. तैलंग स्वामी का अद्भुत योगबल

14. मन्त्र शक्ति का जीवनोत्कर्ष में उपयोग

15. भारत में योगिनियां भी थी

16. तन्त्र-शास्त्र में मुद्राओं का महत्व

17. विदेशों में दैव संयोगों की धारणा

18. हम क्या चाहते हैं ?

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