सोमवार, 31 जनवरी 2011

Motivational Patrak

युग निर्माण की दिशा में .. . ...

यदि आप नित नवीन उत्साह से परिपूर्ण होना चाहते हैं, संस्कारित ऊर्जा प्राप्त करना चाहते हैं, दिनचर्या में निखार लाना चाहते हैं, बिगड़े को बनाना चाहते हैं, भावी जीवन को सुखमय बनाना चाहते हैं, दैनिक जीवन को तरोताजा बनाना चाहते हैं, निराशा में आशा का संचार चाहते हैं, आध्यात्मिक पथ के पथिक बनना चाहते हैं, सकारात्मक सोच का उत्पादन चाहते हैं, अपने व्यवसाय को समृद्ध बनाना चाहते हैं, प्रबन्धन में दक्षता प्राप्त करना चाहते हैं ? तो आइये ....

इस तरह के अनमोल रतन अपने मोबाइल पर निशुल्क प्राप्त कीजिये ।

1. सोचो ! अगर ईश्वर प्रतिदिन का हमसे 1000 रूपया लेता तो, क्या हम एक सैकण्ड भी व्यर्थ करते।

2. जो लोग सुबह उगता हुआ सूरज देखते हैं, वे उगते हुए भाग्य के मालिक बनते हैं।

3. हमें स्वयं को केवल एक मिनट के लिये बूढ़ा बनाना चाहिये, कब ? जब सामने मौत आने वाली हो।

4. भगवान की दुकान प्रातः चार बजे से छः बजे तक ही खुलती है।

5- If you want to ENJOY-Always think today is the first day but if you want to ACHIEVE some thing always think today is the last day.

6. सबसे अधिक खराब दिन वे हैं, जब हम एक बार भी हँसी के ठहाके नहीं लगाते हैं।

7. आप ढूँढे तो परेशानी का आधा कारण अपने में ही मिल जाता हैं 

8- Never reject a moment in life because good moment gives us happiness and bad moment gives us experience.

9. कई लोग जिंदगी में सही निशाना तो साध लेते हैं, पर ट्रिगर नहीं दबा पाते हैं, जिंदगी में निर्णय लेना बेहद जरूरी हैं 

10- In life when you get troubles, don’t get nervous. Just close your eyes & follow your HEART..! Because heart may be in LEFT but it is always RIGHT.

11. श्रेष्ठ प्रबन्धन संघर्ष और सफलता के बीच के अन्तर को समाप्त करता हैं।

12. मालिक बारह घण्टे काम करता हैं। नौकर आठ घण्टे काम करता हैं। चोर चार घण्टे काम करता हैं। हम सब अपने आप से पूछे कि हम तीनों में से क्या है ?

केवल एक बार अपने मोबाइल से मेसेज करे - JOIN लिखे, इसके बाद एक स्पेस दे, फिर MOTIVATIONS लिखे। (यानि JOIN MOTIVATIONS लिखें) इसे 09870807070 पर भेज दें।
प्रतिदिन आपको ऐसे अनमोल सद्विचार अपने मोबाइल पर प्राप्त होते रहेंगे। 
यह सेवा पूर्णतया निःशुल्क हैं।

आप सभी से यह विनम्र आग्रह हैं कि इस अभिनव योजना से जुड़े और अधिकाधिक लोगों को इस योजना से जोड़कर लाभान्वित करावे।
जनमानस परिष्कार मंच

राजेन्द्र माहेश्वरी, आगूँचा 09929827894
Email-vedmatram@gmail.com

यहाँ आप अपना या अपने प्रतिष्ठान का नाम लिखें, जिससे इस पत्रक को विस्तार मिल सके। 

विनम्र निवेदन-इस पत्रक को अधिकाधिक प्रचारित-प्रसारित करवाने के लिए आप भी इसे छपवा कर अथवा फोटो प्रति करवाकर जनहित में प्रसारित कर सहयोग प्रदान करावें। 

शनिवार, 29 जनवरी 2011

सौ प्रतिशत सफलता

1. सौ प्रतिशत सफल होने के लिए खुद को दौ सौ प्रतिशत सक्रिय बनाइए। 
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2. बहादुरी वह शक्ति हैं जिससे आप हिमालय को पार कर सकते हें। 
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3. यदि तुम कमजोर हो तो घबराओ तम, दिमाग को केन्द्रित करो, फिर से कोशिश करो और अपना लक्ष्य साधो। 
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4. कर्तव्य से कर्तव्य का जन्म होता हैं। माता-पिता ने पहले अपना कर्तव्य निभाया, अब हम अपना कर्तव्य निभाएँ।
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5. जीवन का हर दिन होली और दिवाली की तरह हैं। इसके हर पल का आनन्द लीजिए।
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6. ईश्वर पर हमें विश्वास हैं, फिर ईश्वर के द्वारा दिए गए जीवन और सम्बन्धों पर विश्वास क्यों नहीं हैं। विश्वास कीजिए, विश्वासघात नहीं। 
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7. भले ही दूसरे लोग पहनावे से सभ्य बन जाते हों, पर आप अपने आचरण और चरित्र से सभ्य व्यक्ति बनें। 
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8. पहले मन से ईमानदार बनिए, फिर वचन से और उसके बाद अपने कर्म से, ईमानदारी ही महान् व्यक्तियों का पदचिन्ह बनती हैं। 
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9. डेढ़ किलो वजनी दिमाग में बुद्धि के अनमोल खजाने भरे हैं। बुद्धि का जितना इस्तेमाल करोगे, उतने ही महान् और धनवान बनोगे। 
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10. न्याय ही भगवान हैं और अन्याय ही शैतान हैं। तुम न्याय का अनुसरण करो, भगवान स्वतः तुम्हारा साथ देंगे। 
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11. आपकी थोड़ी-सी दया किसी भूखे को भोजन दे सकती हैं, बेघर को बसेरा दे सकती हैं और रोते हुए को हँसा सकती हैं। 
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12. अपने भाई और बहिन से हर रोज इतना प्यार कीजिए कि आपका हर दिन राखी का त्यौहार बन जाए। 
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13. लापरवाह लोग दिन में भी अपने जूते-टाई ढूँढते फिरते हैं, वही सुव्यवस्थित लोग अँधेरे में भी सुई पा लेते हैं। 
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14. अपने विचार, वचन एवं व्यवहार को इतना सुन्दर बनाइए कि भले ही आप चेहरे से सुन्दर न हों, फिर भी आपकी सुन्दरता पूजी जाएगी। 
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15. बड़ों का कहा मानना उनका सबसे बड़ा सम्मान हैं। 
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16. विनम्र व्यक्ति की तो दुश्मन भी प्रशंसा करते हैं, जबकि घमन्डी व्यक्ति को दोस्त भी दुत्कारते हैं।
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17. यदि आपके जीवन में गुणवत्ता हैं तो आप काले और छोटे कद के होकर भी आसमान की ऊँचाइयों को छू सकते हैं।
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18. अपमान देकर तो किसी से ढेला भी नहीं पाया जा सकता, पर सम्मान देकर तो सब कुछ पाया जा सकता हैं। 
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19. अपने काम को इतनी गम्भीरता से पूर्ण करो कि मानो टैगोर गीतांजली की रचना कर हों। 
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20. जिन्दगी में एक बार नहीं, 17 बार असफल हो जाने पर भी हार मत मानो, फिर पुरजोर कोशिश करों, जीत तुम्हारी होगी। 
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21. तुम पाँच हो और सामने वाले सौ, पर यदि एकता रखोगे तो सौ पर भी भारी पड़ोगे। 
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22. विजय पानी हैं तो विक्ट्री से प्रेरणा लीजिए, वी से वीजन (नजरिया) आई से इन्टेलीजेन्स (बुद्धिमानी) सी से करेज (साहस), टी से टेलेन्ट (प्रतिभा), ओ से ओपुर्चुनिटी (अवसर), आर से रेडी (तत्परता) और वाई से यन्ग माइन्ड (उत्साही मन)।
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23. यदि आप स्वस्थ और धनवान हैं तो स्वर्ग आपके कदमों में हैं। 
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24. अपने जीवन को एक्स-रे की तरह साफ-सुधरा रखिए ताकि किसी को अंगुली उठाने का मौका न मिले।
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25. ‘‘हाँ’’ कहने का मतलब ही हैं सकारात्मकता जो हमारे रिश्तों और विचारों का आईना दिखाती हैं। 
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26. उत्साह जीवन की सबसे बड़ी शक्ति हैं। अगर आपके पास यह हैं तो जीत आपकी हैं। 
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27. सुबह आँख खुलते ही एक मिनट तक तबीयत से मुस्कुराइये, यह सुबह का ऐसा विटामीन हैं जो दिनभर आपको प्रसन्न रखेगा। 
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28. पहले ‘‘क’’ आता हैं फिर ‘‘ख’’। पहले करो, फिर खाओ। कर्मयोग से जी मत चुराओ। 
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29. सावधान ! आपका एक पल का गुस्सा आपका पूरा भविष्य बिगाड़ सकता हैं। 
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30. गुटखा खाने से पहले, ‘‘ट’’ हटाकर बोलिए, फिर जी करे, तो प्रेम से खाइए।
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31. ऊँचा लक्ष्य + कार्य-योजना + सकारात्मक नजरिया + लगातार मेहनत + आत्मविश्वास = सौ प्रतिशत सफलता।
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संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी, ललितप्रभ जी

जीने की कला

1. प्रार्थना ! बिना डाकिए के ईश्वर को पहुँचता पत्र ........।
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2. ईश्वर पर सदा भरोसा रखिए, वह निन्यानवे द्वार बंद कर देता हैं, पर भाग्य का एक द्वार फिर भी खुला रखता हैं। 

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3. गुरू विद्यालय भी हैं और मन्दिर भी। हम गुरू की इज्जत भी करें और उनसे नसीहत भी लें। 

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4. दुर्योधन नहीं, युधिष्ठिर बनें। दुर्योधन को किसी में भलाई नहीं दिखती, युधिष्ठिर को किसी में बुराई नहीं दिखती।
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5. घर में कोई बुढ़ा हैं तो उसे भार की बजाय भाग्य मानिए। बूढ़ा पेड़ फल नहीं देता, पर छाया तो देता ही हैं। 

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6. हमेशा प्रेम की भाषा बोलिए। इसे बहरे भी सुन सकते हैं और गूंगे भी समझ सकते हैं। 

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7. जब हम औरों के काम आते हैं तो हम ईश्वर के काफी करीब होते हैं। 

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8. लाखों की कीमत चुकाकर भी जिसे बरकरार रखा जाना चाहिए, वह हैं - मन की शान्ति।

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9. आत्मशक्ति को मजबूत कीजिए ! जिसका आत्मविश्वास मजबूत हैं वह सौ बार हारकर भी नहीं हारता। 

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10. जहाँ हिम्मत समाप्त होती हें, वहीं हार की शुरूआत होती हैं। आप धीरज मत खोइए, अपना कदम फिर से उठाइए .......।

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11. आप जीवन में इतनी ऊँचाइयाँ अवश्य छू लें कि लोग आपके माता-पिता से पूंछे कि आपने ऐसे क्या पुण्य किए जो ऐसी अच्छी सन्तान हुई।

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12. खाली बैठना बहुत अच्छा लगता हैं, पर उसका परिणाम कभी अच्छा नहीं होता।

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13. तुम उतने ही ऊपर उठ सकोगे, जितेन ऊँचे तुम्हारे विचार हैं।

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14. स्वर्ग भले ही आसमान में हो, पर उसका सुकून माँ के चरणों में ही हैं। 

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15. ज्ञान पाने के लिए बचपन, सुख भोगने के लिए जवानी, शान्ति और आनन्द से जीने के लिए बुढ़ापा।

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16. इतनी लालसा मत पालिए, जो मिला हैं, पहले उसका आनन्द लीजिए।

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17. मित्र की भूल अकेले में कहिए, पर प्रशंसा सबके सामने कीजिए।

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18. सुबह जल्दी जगने की आदत डालिए, ताकि आप केवल डूबता हुआ सूरज ही नहीं, भाग्य के उगते हुए सूरज को भी देंख सकें। 

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19. यदि आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो धैर्य को अपना धर्म बना लें। 

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20. अच्छी पत्नी की तरह अच्छे मित्र का चयन कीजिए। गलत पत्नी आपको दुःखी करेगी, पर गलत मित्र आपके घर-परिवार की सुख-शान्ति ही चैपट कर देगा। 

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21. औरों की भलाई कीजिए। भलाई का हर कदम हमें स्वर्ग की ओर बढ़ाता हैं। 

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22. प्रशंसा और प्रसन्नता ऐसे इत्र हैं जिन्हें आप जितना अधिक दूसरों पर छिड़केंगे, उतनी ही सुगन्ध आपके लौटकर मिलेगी। 

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23. कड़क लफ्जों में हल्की बात कहने की बजाय नरम लफ्जों में ठोस बात कहिए।

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24. नशा धीमा जहर हैं। जहर तो पीने वाले का नुकसान करता हैं, पर नशा तो पूरे परिवार का नाश करता हैं। 

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25. जब भी लगे कि तुम चिन्ता और तनाव से भरे हुए हों, तो अपने बचपन को याद कर लो और किसी किलकारी भरते हुए बच्चे की की तरह मुस्करा लो। 

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26. पत्नी गुस्से में कहे- तुम जानवर हो। आप मुस्कुराकर कहिए - तू मेरी जान हैं, मैं तेरा वर हूँ। यह हैं तरीका, गुस्से को मिटाने का।

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27. बीते कल की चर्चा मत कीजिए और आने वाले कल की चिन्ता। सुखी जीवन का राज हैं, आज की सोचिए, आज को सँवारिए, आज को सार्थक कीजिए।

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28. स्वयं पर अनुशासन कीजिए, तभी आप आने वाले कल पर शासन कर सकेंगे। 

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29. डैडी की डाँट-डपट पड़ौसी के दिखावटी प्यार से ज्यादा अच्छी होती हैं। 

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30. ज्ञान धन से ज्यादा महान् हैं, धन की हमें रक्षा करनी पड़ती हैं, जबकि ज्ञान हमारी रक्षा करता हैं। 

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31. लिए हुए नियम और दिये हुए वचन को मरकर भी निभाने की कोशिश कीजिए। 

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-संत प्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी, ललितप्रभ जी

अनुशासित संस्कारवान बच्चे

महर्षि कपिल नित्य गंगास्नान के लिये जाते तो मार्ग मे एक गाँव मे एक वृद्धा का घर पड़ता। विधवा ब्राह्मणी या तो चरखा कातते मिलती या ध्यान करते। एक दिन दयाद्र होकर वे उसके पास पहुँचे और बोले-‘‘बहन ! मै इस आश्रम का कुलपति हूँ। मेरे कई शिष्य राज परिवारों मे है। तुम चाहों तो तुम्हारे लिये स्थाई जीविका की व्यवस्था कर दूँ। तुम्हारी यह असहाय अवस्था वास्तव मे दुःखद है’’ ब्राह्मणी ने आभार व्यक्त किया और बोली - ‘‘देव ! आपका हार्दिक धन्यवाद, पर आपने मुझे पहचानने में भूल की। मै असहाय नही हूँ। मेरे पास पाँच ऐसे रत्न है जिनसे चाहे तो मै राजाओं जेसे वैभव प्राप्त कर सकती हूँ। 

कपिल ने आश्चर्य से पूछा:- ‘‘भद्रे ! कहाँ है वे पाँच रत्न ? क्या में उन्हे देख सकता हूँ।

ब्राह्मणी ने आसन पर कपिल मुनि को बिठाया । थोड़ी देर मे पाँच सुन्दर विन्रम बच्चे घर आये। माँ को प्रणाम किया एवं कपिल को पहचान कर उन्हें साष्टांग प्रणाम किया। सादगी भरे वस्त्रो मे वे राजकुमारो से भी कम नही लग रहे थे। गुरूकुल से लौटे उन बालकों के गुण पारखी कपिल ने बिना बताये ही जान लिये थे। उनने ब्राह्मणी को प्रणाम किया और और कहा हे भद्रे ! सचमुच तुम्हारे पाँच रत्न बडे अमूल्य हैं। ऐसे अनुशासित संस्कारवान बच्चे जिस घर में, जिस देश में हो, वह अभावग्रस्त रह ही नही सकता।

शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

Mother

1- Mother - whose presence gives meaning to every creation. 
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2- A mother is a loving angle in her arm you find warmth and love which you can never find anywhere else

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3- Mother Thanks you for making us feel that nothing that you have achieved is worth more than our love. 

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4- A mother is she who can take the place of all others but whose place no one else can take

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5- God created mother because he could not be present everywhere. 

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6- A mother is a helper, a finder of lost things a pocket money giver an angel without wings

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7- MAA the word that spells supreme power

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8- MAA you are a miracle of god’s creation. 

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9- The mother is the most precious possession of the nation. 

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10- MAA thank you for giving my life. 

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11- Mother’s love kept you alive, only love can kept any one alive. 

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12- Youth is kept pure and honourable by its sweet dominance

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13- Mother there is no substitute for her. 

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14- Mothers are sweetness love forgiveness a secure place in the world. 

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15- True mother have to be made of steel to with stand that difficulties that are some times bestowed by their children. 

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16- Thank you, for giving of loving me when I was most unlovable, for believing in me when I no longer believed in my self, for forgiving me when what I had done was just unforgivable

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17- Mother is the bank where we deposit all our wounds and worries

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18- Mother you have always been true that is the essence in my thought

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19- Mother is the most important influence in my life all that I am and all that I have become is in some way a tribute to her. 

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20- The future of child is always the work of the mother. 

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21- The mother loves her child most divinely

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22- A Mother laughs our laughter, sheds our tears, return our love, and fear our fears. 

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23- A good mother is worth a hundred teachers

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24- Mothers are undaunted support constants guidance and the reason behind every little success. 

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25- All mothers are rich when they love their children

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26- A man loves his sweetheart the most his wife the best but his mother the longest

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27- Mother is the search of light in the world of darkness. 
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28- Mother is the hearth beat in the home and without her there seems to be no hearth throb

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29- Motherhood all love begins and ends there. 

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30- Mother leads you from untruth to truth from darkness to light and from death to immortality

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31- What is ABORTION - Atom, Bomb, Over, Rosy, Tinny, Innocent, Orphan, None born baby.

गुरुवार, 27 जनवरी 2011

अब समझा हूँ तुम्हें जब नहीं हो तुम!

याद है मुझे
तुम डाँटकर, डराकर सिखाते थे मुझे तैरना
और मैं डरता था पानी से
मैं सोचता...बाबूजी पत्थर हैं !
इसी पानी में तुम्हारी अस्थियाँ बहाईं
तब समझा हूँ...
तैरना ज़रूरी है इस दुनिया में !
बाबा...मैं तैर नहीं पाता
आ जाओ वापस सिखा दो मुझे तैरना
वरना दुनिया डुबो देगी मुझे!

बाबा..अब समझा हूँ मैं
थाली में जूठा छोड़ने पर नाराज़गी,
पेंसिल गुमने पर फटकार,
और इम्तहान के वक़्त केबल निकलवाने का मतलब!
कुढ़ता था मैं.....बाबूजी गंदे हैं!
मेरी खुशी बर्दाश्त नहीं इनको
अब समझा हूँ तुम्हें जब नहीं हो तुम!

तुम दोस्त नहीं थे मेरे माँ की तरह..
पर समझते थे वो सब जो माँ नहीं समझती
देर रात.. दबे पाँव आता था मैं
अपने बिस्तर पर पड़े छुपकर मुस्कुरा देते थे तुम
तुमसे डरता था मैं!
बाबा...तुम्हारा नाम लेकर अब नहीं डराती माँ नहीं कहती बाबूजी से बोलूँगी...
बस एक टाइम खाना खाती है!

बाबा....याद है मुझे
जब सिर में टाँकें आए थे
तुम्हारी हड़बड़ाहट....पुचकार रहे थे तुम मुझे
तब मैंने माँ देखी थी तुममें!
विश्वास हुआ था मुझे माँ की बात पर..
बाबूजी बहुत चाहते हैं तुझे
आकर चूमते हैं तेरा माथा जब सो जाता है तू!
बाबा..
तुम कहानी क्यों नहीं सुनाते थे?
मैं रोता माँ के पास सोने को
और तुम करवट लेकर
ज़ोर से आँखें बंद कर लेते!
तुम्हारी चिता को आग दी
तबसे बदली-सी लगती है दुनिया
बाबा..
तुमने हाथ कभी नहीं फेरा
अब समझा हूँ तुम्हारा हाथ हमेशा था
मेरे सिर पर!
कल रात माँ रो पड़ी उधेड़ती चली गई .
तुम्हारे प्रेम की गुदड़ी यादों की रूई निकाली
फिर धुनककर सिल दी वापस!

बाबा..
तुम्हारा गुनहगार हूँ मैं नहीं समझा तुम्हें..
तुमने भी तो नहीं बताया
कैसे भरी थी मेरी फीस!
देखो.....दादी के पुराने कंगन छुड़वा लिए हैं मैंने
जिन्हें गिरवी रखा था तुमने..
मेरे लिए!
बाबा.. मैं रोता था अक्सर
यह सोचकर....बाबूजी गले नहीं लगाते मुझे
अब समझा हूँ सिर्फ़ जतलाने से प्यार नहीं होता!
बाबा.. आ जाओ वापस
तुमसे लिपटकरजी भर के रोना है मुझे एक बार
बाबा...अब समझा हूँ तुम्हें जब नहीं हो तुम!!

(Written By: SN Sikhwal (Tripathi).

माँ

1. ऊपर जिसका अंत नहीं, उसे आसमां कहते हैं, जहाँ में जिसका अंत नहीं, उसे माँ कहते हैं। 
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2. बचपन में गोद देने वाली को बुढ़ापे में दगा देने वाला मत बनना .....। 

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3. जिन बेटों के जन्म पर माँ ने हँसी-खुशी पेड़े बाँटे ...वही बेटे जवान होकर कानाफूसी से माँ-बाप को बाँटे ...! 

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4. माँ ! पहले आँसू आते थे और तू याद आती थी। आज तू याद आती हैं और आँसू आते हैं। 
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5. माँ ! ‘‘कैसी हो ...’’ इतना ही पूछ, उसे मिल गया सब कुछ। 

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6. मंगलसूत्र बेचकर भी तुम्हें बड़ा करने वाले माँ-बाप को ही घर से निकालने वाले ऐ युवान् ! तुम तुम्हारे जीवन में अमंगल सूत्र शुरू कर रहे हो। 

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7. माँ, तूने तीर्थंकरों को जना हैं, संसार तेरे ही दम से बना हैं, तू मेरी पूजा है।, मन्नत हैं मेरी, तेरे ही कदमों में जन्नत हैं मेरी ...। 

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8. बँटवारे के समय घर की हर चीज पाने के लिए झगड़ा करने वाले बेटों- दो चीजों के लिए उदार बनो, जिनका नाम हैं ‘‘माँ-बाप’’। 

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9. मातृभाषा, मातृभूमि व माँ का कोई विकल्प नहीं। 

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10. डेढ़ किलो दूधी डेढ़ घण्टे तक उठाने से तुम्हारे हाथ दुख जाते हैं ! माँ को सताने से पहले इतना तो सोचो ... तुम्हें नौ-नौ महिने उसने पेट में कैसे उठाया होगा ? 

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11. जो मस्ती आँखों में हैं, मदिरालय में नहीं, अमीरी दिल में कोई महालय में नही, शीतलता पाने के लिए कहाँ भटकता है मानव ! जो माँ की गोद में हैं वह हिमालय में नहीं ... ! 

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12. बचपन के आठ साल तुझे अंगुली पकड़कर जो माँ-बाप स्कूल ले जाते थे, उस माँ-बाप को बुढ़ापे के आठ साल सहारा बनकर मंदिर ले जाना ... शायद थोड़ा सा तेरा कर्ज थोड़ा सा तेरा फर्ज पूरा होगा। 

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13. माँ बाप को सोने से न मढ़ो, तो चलेगा। हीरे से न जड़ो, तो चलेगा। पर उनका जिगर जले और अंतर आँसू बहाएँ, यह कैसे चलेगा ? 

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14. जब छोटा था तब माँ की शय्या गीली रखता था, अब बड़ा हुआ तो माँ की आँखे गीली रखता हैं। हे पुत्र ! तुझे माँ को गीलेपन में रखने की आदत हो गई हैं...! 

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15. माँ-बाप की आँखों में दो बार आँसू आते हैं। लड़की घर छोड़े तब ...और लड़का मुँह मोड़े तब ...।

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16. माँ और क्षमा दोनों एक हैं क्यों कि माफ करने में दोनों नेक हैं ! 

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17. घर का नाम मातृछाया व पितृछाया मगर उसमें माँ-बाप की परछाई भी न पड़ने दे ... तो उस मकान का नाम पत्नीछाया रखना ठीक होगा ...। 

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18. माँ-बाप की सच्ची विरासत पैसा और प्रासाद नहीं, प्रामाणिकता और पवित्रता हैं ...। 

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19. बचपन में जिसने तुम्हें पाला, बुढ़ापे में उसको तुमने नहीं सम्हाला तो याद रखो ... तम्हारे भाग्य में भड़केगी ज्वाला । 

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20. माँ-बाप को वृद्धाश्रम में रखने वाले ऐ युवान् ! तनिक सोच कि, उन्होंने तुझे अनाथाश्रम में नहीं रखा उस भूल की सजा तो नहीं दे रहा हैं ना ? 

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21. चार वर्ष को तेरा लाड़ला यदि तेरे प्रेम की प्यास रखे तो पचास वर्ष के तेरे माँ-बाप तेरे प्रेम की आस क्यों न रखें ? 

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22. घर में माँ को रूलाएँ और मंदिर में माँ को चुनरी ओढ़ाएँ ... याद रख ... मंदिर की माँ तुझ पर खुश तो नहीं ... शायद खफा जरूर होगी ! 

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23. जिस मुन्ने को माँ-बाप ने बोलना सिखाया था ... वह मुन्ना बड़ा होकर माँ-बाप को मौन रहना सिखाता हैं !!! 

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24. जिस दिन तुम्हारें कारण माँ-बाप की आँखों में आँसू आते हैं, याद रखना ... उस दिन तुम्हारा किया सारा धर्म आँसू में बह जाता हैं ! 

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25. तुमने जब धरती पर पहला श्वास लिया, तब तेरे माता-पिता तेरे पास थे। माता-पिता अंतिम श्वास लें, तब तुम उनके पास रहना ...। 

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26. पत्नी पसंद से मिल सकती हैं, माँ पुण्य से ही मिलती हैं। पसंद से मिलने वाली के लिए पुण्य से मिलने वाली को मत ठुकराना। 

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27. पेट में पाँच बेटे जिसे भारी नहीं लगे थे, वह माँ ... बेटों के पाँच फ्लेट्स में भी भारी लग रही हैं ! बीते जमाने का यह श्रवण का देश ... कौन मानेगा ? 

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28. संसार की दो बड़ी करूणता - माँ के बिना घर और घर के बिना माँ। 

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29. प्रेम को साकार होने का मन हुआ और माँ का सृजन हुआ। 

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30. जीवन के अँधेरे पथ में सूरज बनकर रोशनी बनने वाले माँ-बाप की जिन्दगी में अंधकार मत फैलाना ...। 

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31. आज तू जो कुछ भी हैं, वो ‘‘माँ’’ की बदौलत हैं ... क्योंकि उसने तुझे जनम दिया ...माँ तो देवी हैं ... गर्भपात कराके वह राक्षसी नहीं बनी, इतना तो सोच ...! 

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- आचार्य विजय यशोवर्म सूरि

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