आचार्य चरक ने आहार ग्रहण करने की आठ विधियाँ बताई हैं ये विधियाँ हैं- प्रकृति, संस्कार, संयोग, राशि (मात्रा), देश (हैबीटेट, क्लाइमेट), काल, उपयोग के नियम तथा उपभोक्ता। आचार्य कहते हैं- ``उष्ण भोजन ही लें, स्निग्ध आहार ग्रहण करें, नियत मात्रा में आहार लें, पूर्ण रूप से पूरे भोजन के पकने पर ही आहार लें, वीर्य विरूद्ध आहार न लें, सही उपकरणों में आहार लें, द्रुतगति से भोजन न करें, अधिक देरी तक भोजन न करें। आहार लेते हुए ज्यादा नही बोलें, हँसते हुए आहार ग्रहण करें । अपनी आत्मसत्ता का विचार कर आहार ग्रहण करें।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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