1) ईश्वर भक्त आस्तिक को लोकसेवी होना ही चाहिये। जिसके हृदय में अध्यात्म की करुणा जगेगी, वह सेवा धर्म अपनाये बिना रह ही न सकेगा।
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2) मनुष्य में देवत्व का उदय करना यही तो अध्यात्म है।
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3) पदार्थ विज्ञान में प्रयोग करना पडता हैं, अध्यात्म विज्ञान में प्रयोग की आवश्यकता नही।
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4) जैसे विज्ञान में यन्त्र होते हैं वैसे ही अध्यात्म में मन्त्र होते है।
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5) अध्यात्म एक नकद धर्म है, जिसे मात्र आत्मशोधन की तपश्चर्या से ही प्राप्त किया जा सकता है।
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6) अध्यात्म का अर्थ ही आत्मनिर्भरता और आत्मिक पूर्णता है।
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7) अध्यात्म मे बहुत ज्यादा बुद्धि का प्रयोग करना अच्छा नहीं होता है।
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8) अध्यात्म में पवित्रता सर्वोपरि है।
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9) अध्यात्म में सारा चमत्कार श्रद्धा का है।
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10) अध्यात्म व्यक्ति को अकर्मण्य नहीं बनाता, वरन् अधिक महत्वपूर्ण और अधिक भारी कार्य कर सकने की क्षमता प्रदान करता है।
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11) अध्यात्म नकद धर्म हैं। आप सही तरीके से इस्तेमाल तो कीजिये।
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12) पीतल और सोने में, कॉच और रत्न में जो अन्तर हैं वही अन्तर सांसारिक सम्पति और आध्यात्मिक सम्पदा के बीच में भी है।
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13) उदार, गम्भीर और विवेकपूर्ण मनोवृति की वृद्धि करना ही आध्यात्मिक विकास है।
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14) आध्यात्मिक साधनाएं बरगद के वृक्ष की तरह घीरे-धीरे बढती हैं, पर से होती टिकाउ है।
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15) आध्यात्मिक वातावरण श्रेष्ठतर मानव जीवन को गढने वाली प्रयोगशाला है।
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