धर्म क्या हैं ? :-
धर्म प्रवचन नहीं है।
बौद्धिक तर्क-विलास वाणी का वाक्जाल भी धर्म नहीं है।
धर्म तप हैं।
धर्म तितिक्षा है।
धर्म कष्ट-सहिष्णुता है।
धर्म परदु:खकातरता है।
धर्म सच्चाइयों और अच्छाइयों के लिए जीने और इनके लिए मर मिटने का साहस हैं ।
धर्ममर्यादाओ की रक्षा के लिए उठने वाली हुकारे हैं ।
धर्म सेवा की सजल संवेदना है।
धर्म पीडा-निवारण के लिए स्फुरित होने वाला महासंकल्प है।
धर्म पतन-निवारण के लिए किए जाने वाले युद्ध का महाघोष हैं।
धर्म दुश्प्रवर्तियों, दुष्कृत्यों, कुरीतियों के महाविनाश के लिए किए जाने वाले अभियान का शंखनाद है।
धर्म सर्वहित के लिए स्वहित का त्याग हैं।
ऐसा धर्म केवल तप के वासंती अंगारो में जन्म लेता हैं।
बलिदान के वासंती राग में इसकी सुमधुर गूंज सुनी जाती है।
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