कोई मनुष्य यदि कल्पना कर सकता है और बिना विचारे उस पर आसक्त हो जाता है, तो वह एक खतरनाक मार्ग को अपनाता है । ज्यों ही एक कल्पना उठी, त्यों ही उस पर आसक्त होकर कार्य रूप में लाने को तुरंत तैयार हो जाना- एक ऐसा दुर्गुण है, जिसके कारण लोग अकसर धोखा खाते और ठगे जाते हैं ।
अपनी ही कल्पना के आवेश में ये कुछ का कुछ कर बैठते हैं । आत्महत्या जैसे दुःखद परिणाम निर्णय शक्ति के अभाव और आवेश में होते हैं ।
-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ. ८
1 टिप्पणी:
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