मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

निश्छल मन...

राँका कुम्हार ने बरतन पकाने की भट्ठी तैयार की तथा पकाने के लिए बरतन उसमें रख दिए। उनमें से एक बरतन में बिल्ली के बच्चे भी थे। राँका को इसका पता नहीं था। उसने भट्ठी में आग दी। बरतन पक रहे थे तब बिल्ली आकर चक्कर काटने लगी। राँका सब बात समझकर बड़ा दुःखी हुआ और भगवान से प्रार्थना करता हुआ बैठा रहा दूसरे दिन पके बरतन भट्ठी से निकालने लगा तो देखा की एक बरतन कच्चा रह गया है, उसमें से म्याऊ-म्याऊ की आवाज निकल रही है। यह देखकर वह निहाल हो गया।

निश्छल मन से की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती।

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