गुरुवार, 5 अगस्त 2010

धन का अभिमान

यूनान में आल्सिबाएदीस नामक एक बहुत बड़ा संपन्न जमींदार था । उसकी जमींदारी बहुत बड़ी थी । उसे अपने धन-वैभव एवम जागीर पर बहुत अधिक गर्व था । वह इसका वर्णन करते हुए थकता नहीं था ।

एक दिन वह प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात के पास जा पहुँचा और अपने ऐश्वर्य का वर्णन करने लगा । सुकरात उसकी बातें कुछ देर तक सुनते रहे । फिर उन्होंने पृथ्वी का एक नक्शा मँगवाया । नक्शा फैला कर उन्होंने आल्सिबएदिस से पूछा- "अपना यूनान देश इस नक्शे में कहाँ है ?"

जमींदार कुछ देर तक नक्शा देखने के बाद एक जगह अंगुली रख कर बोला- "अपना यूनान देश यह रहा ।"

सुकरात ने पुनः पूछा - "और अपना एटिका राज्य कहाँ है ?"बड़ी कठिनाई के बाद जमींदार एटिका राज्य को ढूंढ सका । अच्छा, इसमें आपकी जागीर की भूमिका कहाँ है ?" सुकरात ने एक बार फिर पूछा । अब जमींदार कुछ सकपका गया । वह बोला- "आप भी खूब हैं, इस नक्शे में इतनी छोटी-सी जागीर कैसे बताई जा सकती है ?"

तब सुकरात ने कहा - "भाई ! इतने बड़े नक्शे में जिस भूमि के लिए एक बिन्दु भी नहीं रखा जा सकता उस नन्ही -सी भूमि पर आप गर्व करते हैं ? इस पूरे ब्रह्माण्ड में आपकी भूमि और आप कहाँ कितने हैं, जरा यह भी तो सोचिये ।"

सुकरात के मुंह से यह सुनते ही आल्सिबएदिस का अपनी जागीर और सम्पति पर जो गर्व था चकनाचूर हो गया ।

व्यक्ति को अपनी धन-संपदा का बखान तथा उस पर गर्व नहीं करना चाहिए ।

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin