रविवार, 31 अक्तूबर 2010

प्रार्थना

महाराष्ट्र में एक बार भयंकर अकाल पड़ा। कईयों ने गाव छोड़ दिये, पशुओं को लेकर सब ईधर उधर निकल पड़े। एक छोटे से कसबे के लोगो ने मिलकर तय किया कि हम सब प्रार्थना करें - सामूहिक प्रार्थना में बड़ा बल होता है। सभी एक स्थान पर इकठ्ठे हुये। प्रार्थना आरम्भ होने वाली थी।

इतने मे एक किशोर वहा आया। उसके पास छाता था। सभी हॅसने लगे। बोले -‘‘पानी तो गिरने वाला नहीं है, न गिर रहा है, फिर तू छाता लेकर क्यों आया?’’ 

किशोर बोला - ‘‘जब आप सब मिलकर प्रार्थना करने आये है तो भला पानी क्यो नही बरसेगा ! "

मैने तो सुना है कि सच्चे हदय से की गई प्रार्थना कभी निष्फल नही जाती है।

किशोर की निश्छल भावना एवं अटूट विश्वास ने सबमें प्रचन्ड बल भर दिया। 

सभी ने भावपूर्वक प्रार्थना की और पानी बरसा। 

हमें विश्वास ही नहीं तो भगवान क्योंकर हमारी बात सुनेगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin