सोमवार, 30 मई 2011

अखण्ड ज्योति जून 1969

1. विश्वात्मा ही परमात्मा

2. अहंकार की पराजय

3. ईश-प्रेम से परिपूर्ण और मधुर कुछ नहीं

4. वेदान्त की महनीयता-एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति

5. रोगों की जड़ शरीर नहीं, मन में

6. धार्मिक परिप्रेक्ष्य में विज्ञान की सीमितता

7. महान् मानव जीवन का महान् सदुपयोग

8. मनुष्य के अन्दर का रेडियो टेलिविजन

9. पूर्व ज्ञान केवल आत्म-चेतना के लिए सम्भव

10. हम आत्मविश्वासी बने, अपना भरोसा करे

11. मनुष्य अमीबा से नहीं, ईश्वर की इच्छा से बना हैं

12. भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक हैं

13. मनुष्य मरने के बाद भी जिन्दा रहता हैं

14. हमारी महत्वाकांक्षाये-निकृष्ट न हो

15. चन्द्रमा देवता कुल 69 मील दूर

16. क्रूरता-मानवता पर महान् कलंक

17. ग्रह-नक्षत्रों की गतिविधियां हमें प्रभावित करती हैं

18. निराशा का अभिशाप-परिताप

19. एटम बमों की मार से हमे यज्ञ बचाते हैं

20. अहंकार अपने ही विनाश का कारण

21. पूजा का मर्म

22. अपनो से अपनी बात

23. यज्ञ कुण्ड जागो, आहुति लो

अखण्ड ज्योति मई 1969

1. आन्तरिक सामर्थ्य ही साथ देगी

2. भगवान की दया और करूणा

3. सर्वव्यापी आत्मा की सर्वज्ञता

4. आत्मा में परमात्मा की निकटतम अनुभूति

5. सारा संसार एक बिन्दु पर

6. अपनी शक्तियां सही दिशा मे विकसित कीजिए

7. मनुष्य देह मे ब्रह्म-वैवर्त

8. विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

9. शक्ति नहीं करूणा जीतेगी

10. सौन्दर्य का मूल स्त्रोत तलाश करे

11. विलक्षण मानसिक शक्तियां और उसका आधार

12. जीवन-मुक्ति का अधिकार

13. मनुष्य-अनंत आकाश का क्षुद्रतम अंश

14. प्रगति-पथ के आन्तरिक अवरोध

15. सुरधु की समाधि

16. महाशक्ति कुण्डलिनी और आवरण

17. पात्रत्व की परीक्षा

18. कामनाओं और वासनाओं का सदुपयोग

19. गायत्री महाशक्ति और उसकी सुविस्तृत माया

20. अपनो से अपनी बात

21. ईश्वर का प्रतिबिम्ब प्रेम

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1969

1. सेवा करना इनसे सीखो

2. आत्म-बल हमारी सबसे बड़ी वैभव विभूति

3. आत्मा के रहस्य के खुलते पन्ने

4. पढ़ै सो पंडित होय-ढाई अक्षर प्रेम के

5. देवता-तथ्य और विज्ञान की कसौटी पर

6. उपासना के साथ कामनायें न जोड़े

7. वृक्ष वनस्पतियों में भी फैली हुई विश्वात्मा

8. मनुष्य से श्रेष्ठ और कुछ नहीं

9. अन्य लोको में बुद्धि विकास के प्रमाण

10. सद्विचार अपनाये बिना कल्याण नहीं

11. मृत्यु के साथ जीवन का अंत नहीं

12. दुःखी संसार में भी सुखी रहा जा सकता हैं

13. आत्मा की अनंत गहराई का प्राकट्य

14. क्षमा, बुद्धिमता और विचारशीलता

15. संगीत-मानव जीवन का प्रकाश और प्राण

16. हम स्वास्थ्य और शक्ति की उपेक्षा न करे

17. अन्तरिक्ष के सूक्ष्म शक्ति-प्रवाह

18. अपने आप बढ़ो, विकसो, बड़े बनो

19. अन्धविश्वासों की उलझन अहित ही करेगी

20. गायत्री उपासना से लौकिक और आत्मिक सफलतायें

21. अपनो से अपनी बात

अखण्ड ज्योति मार्च 1969

1. प्रार्थना ही नहीं पवित्रता भी

2. आत्मा असीम शक्तियों का केन्द्र बिन्दु

3. आत्मा की समीपता की ओर कदम

4. कर्म-योग और कर्म कौशल

5. यज्ञ से सुख और समृद्धि का भौतिक विज्ञान

6. भक्ति-पथ की जीवन-नीति

7. चेतना का अस्तित्व और अनुभूति

8. मन का जीतना-सबसे बड़ी विजय

9. ग्रह नक्षत्र में जीवन का अस्तित्व

10. स्वाध्याय-जीवन विकास की एक अनिवार्य आवश्यकता

11. ब्रह्म का नाद स्वरूप और शक्ति परिचय

12. हमारा दृष्टिकोण संकीर्ण नहीं विशाल हो

13. ‘अमरत्व’ और ‘इच्छा आयु’ असम्भव नहीं

14. ब्रह्मचर्य शारीरिक और मानसिक स्वस्थता का आधार

15. सराक्यूज की रोती हुई प्रतिमा

16. कठिनाइयों से लड़े और अपना साहस बढ़ाये

17. अदृश्य किन्तु प्रभावोत्पादक संगीत शक्ति

18. पशु-बलि से देवता अप्रसन्न होते हैं और बदनाम भी

19. महासर्पिणी कुण्डलिनी और उसका महासर्प

20. अपनो से अपनी बात

21. स्वावलम्बन और व्यक्ति निर्माण की शिक्षा

22. मानवता का मन्दिर

अखण्ड ज्योति फरवरी 1969

1. सेवा और प्रार्थना

2. आत्म-बल जीवन की महानतम सम्पदा

3. बिन्दु में सिन्धु समाया

4. नास्तिक दर्शन पर वैज्ञानिक आक्रमण

5. हमारी आध्यात्मिक जिज्ञासा और आकांक्षा

6. आत्मा का अस्तित्व-सत्य और तथ्य

7. सद्विचारों की समग्र साधना

8. आत्म तेजो बलम् बलम्

9. ब्रह्मचर्य द्वारा आत्म-बल का संचय

10. आत्मा के अस्तित्व का प्रमाण भूत

11. पुरूषार्थी ही पुरस्कारों के अधिकारी

12. स्वार्थपरता व्यक्ति और समाज के लिए एक भयंकर विपत्ति हैं

13. परलोक और पृथ्वी-कितने दूर कितने पास

14. जीव-कोषो के मन और मानसोपचार

15. मन को दुर्बल न बनने दे

16. स्वप्न और मनुष्य जीवन की गहराई

17. मांसाहार मानवता का अपमान

18. कोलाहल से दूर-शान्त एकान्त की ओर

19. जीव-जन्तुओं की आध्यात्मिक चेतना

20. गायत्री उपासना की रहस्यमयी प्रतिक्रिया

21. अपनो से अपनी बात

22. सच्चा जीवन

अखण्ड ज्योति जनवरी 1969

1. परमात्मा का निराकार स्वरूप

2. हम ईश्वर के महान् पुत्र हैं

3. सर्वोपरि और सर्वशक्तिमान सत्त-परमात्मा

4. अध्यात्म से मानव जीवन का चरमोत्कर्ष

5. लोकोत्तर जीवन श्रद्धाभूत ही नहीं विज्ञान-भूत भी

6. सामान्य जीवन में महानता का समावेश

7. धर्म रहित विज्ञान हमारा सर्वनाश करके छोड़ेगा

8. निग्रहित मन की सामर्थ्य अपार

9. समाज की अभिनव रचना-सद्विचारों से

10. पूर्व जन्मों के सम्बन्धित संस्कार

11. हम देवत्व की ओर बढ़े असुरता की ओर नहीं

12. देखने वाली आत्मा को आँखे आवश्यक नहीं

13. अन्य जीवों को तुच्छ न समझे

14. नये युग के तीन आधार-सत्य, साम्य और ऐक्य

15. अपनी मानसिक शान्ति इस तरह बर्बाद न करे

16. उपवास-शरीर शोधन की महत्वपूर्ण प्रणाली

17. पुस्तकालयों का जाल बिछा दिया जाय

18. संगीत जो तन-मन को जीवन देता हैं

19. सूर्य-शक्ति से आरोग्य प्राप्ति

20. संकट और कष्टों के निवारण में गायत्री शक्ति का प्रयोग

21. जाग्रत कुण्डलिनी और कुण्डलिनी जागरण

22. अपनो से अपनी बात

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1968

1. सबसे बड़ी सेवा

2. परमात्मा का सानिध्य और सम्पर्क साधे

3. अपना स्वर्ग आप बनाये

4. प्रेम का अमृत और उसकी उपलब्धि

5. आत्मा के अस्तित्व के कुछ प्रमाण

6. पुर्नजन्म और कर्मफल की पृष्ठभूमि

7. आध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाय

8. धर्म ही सच्चा विज्ञान-वैज्ञानिकों के उपाख्यान

9. सत्य में हजार हाथियों का बल हैं

10. कुण्डलिनी शक्ति जागरण का प्रथम सोपान

11. मनोबल से पदार्थों का स्थानान्तरण

12. दृष्टिकोण के अनुरूप संसार का स्वरूप

13. शाप और वरदान का विज्ञान

14. फ्रायड का सेक्स एक विद्रुप विडम्बना

15. सामाजिक उन्नति में व्यक्ति की उन्नति सन्निहित

16. जो निरहंकार हैं वही बुद्धिमान हैं

17. सन् बासठ को अष्टग्रही योग और उसके बाद

18. अपना झोला पुस्तकालय पूरा कर लीजिए

19. त्रिदेवों की परम उपास्य महाशक्ति गायत्री

20. अपनो से अपनी बात

21. तदात्मानं सृजाम्यहं

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1968

1. धर्म न तो अवैज्ञानिक हैं और न अनुपयोगी

2. परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम द्वारा ही सम्भव है

3. ज्ञान ही मनुष्य की वास्तविक शक्ति

4. हमारा जीवन नीति आदर्शवाद से प्रेरित हो

5. विराट् ब्रह्म का भावनात्मक पार-दर्शन

6. भूगोल बदल रहा हैं तो इतिहास भी बदलेगा

7. आत्मा का अस्तित्व अमान्य न किया जाय

8. सम्पत्तिया नहीं, विभूतियां श्रेयस्कर है

9. मानव शरीर एक सर्वांगपूर्ण यंत्र हैं

10. अदृश्य लोक के निवासी-हमारे अदृश्य सहायक

11. मनुष्य शरीर की एक रहस्यमय शक्ति-कुण्डलिनी

12. प्रेम साधना द्वारा आन्तरिक उल्लास का विकास

13. ‘उपयोगितावाद’ हमें हिप्पी बनाकर छोड़ेगा

14. लोकान्तर आवागमन-एक तथ्य, एक सत्य

15. भविष्य दर्शन का विज्ञान

16. हम धैर्य और साहस के साथ ही आगें बढ़े

17. जीवन शक्ति का अजस्र स्त्रोत-संगीत

18. दैवी-शक्ति द्वारा गुप्त रहस्यों का उद्घाटन

19. गर्भस्थ शिशु का इच्छानुवर्ती निर्माण

20. गायत्री का देवता सविता पर एक वैज्ञानिक दृष्टि

21. अपनो से अपनी बात

22. मुझे यह कभी नहीं स्वीकार

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1968

1. आत्म-त्याग ही सर्वोच्च धर्म

2. आस्तिकता मानव-जीवन की अनिवार्य आवश्यकता

3. प्रेम विस्तार से परमात्मा की प्राप्ति

4. आत्मा को शान्ति इस प्रकार मिलती हैं

5. पूर्व जन्म कृतं पापं व्याधि रूपेण पीड़ति

6. शब्द तत्व की अद्भुत एवं आश्चर्यजनक शक्ति

7. निकृष्टता को परास्त कर उत्कृष्टता का वरण करे

8. अनेकों झील, पर्वत एवं सैकड़ो नदी-नद शरीर के हर कण में

9. शक्ति एवं सन्देश संचार की प्राण विद्या

10. इन्द्रियातीत ज्ञान-मनुष्य के लिए नितान्त सम्भव

11. शक्ति कोषों का यह उत्कर्ष साधनाओ से सम्भव

12. अनवरत श्रम-एक तपश्चर्या

13. दीर्घकाल तक जी सकना सम्भव हैं

14. अणु-शक्ति अभिषाप अथवा वरदान

15. आत्मायें धरती पर उतरी और ......

16. मनुष्य से तो चींटी में ही ज्यादा अकल हैं

17. कभी-कभी स्वप्न सच भी होते हैं

18. जीवन से भागो नहीं समझदारी से जियो

19. भूतकाल की घटनाये भी देखी जा सकती हैं

20. गायत्री उपासना सनातन और सर्वोपरि

21. देवी निवेदिता-उनकी शताब्दी-और हम

22. अपनो से अपनी बात

23. मुझे यह कभी नही स्वीकार

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1968

1. जीवन की महत्ता समझे और उसका सदुपयोग करे

2. परमेश्वर के साथ अनन्य एकता का राजमार्ग

3. उपासना-अन्तःकरण की गहराई से

4. आत्म-ज्ञान बिना कल्याण नहीं

5. समस्त शक्तियों का भण्डार हमारा मन

6. उत्कृष्ट जीवन के चार चरण

7. कहीं से भी आनन्द खोज निकालने की कला

8. अनुपयुक्त आकांक्षाये और उनका असन्तोष

9. हमें संकटो का भी सामना करना होगा

10. सबकी उन्नति में अपनी उन्नति

11. सद्-गृहस्थ और असद् गृहस्थ का अन्तर

12. भारतीय वेश-भूषा और वस्त्र धारण

13. सौन्दर्य की स्वाभाविकता और उसका आधार

14. वैज्ञानिक अध्यात्मवाद और प्रबुद्ध परिजनो का सहयोग

15. ऐसी बात नहीं


अखण्ड ज्योति अगस्त 1968

1. मनुष्य अनन्त शक्ति का भाण्डागार हैं

2. उपासना का उद्देश्य आत्म-शान्ति

3. प्रेम और उसका वास्तविक स्वरूप

4. अनन्त आनन्द का स्त्रोत आध्यात्मिक जीवन

5. धर्म की सच्ची भावना का प्रवर्तन हो

6. अपना सम्मान आप स्वयं ही करे

7. प्रसन्न यों रहा जा सकता हैं

8. परहित सरिस पुण्य नहिं भाई

9. ज्ञान से बढ़कर इस संसार में और कुछ नहीं

10. आत्म-हनन एक महान् पातक

11. सरल किन्तु शानदार जीवन जिए

12. ज्ञान और श्रम का संयोग आवश्यक

13. सन्तोष सदृश शान्ति-स्थल नहीं

14. अपनो से अपनी बात-वैज्ञानिक अध्यात्म के प्रतिपादन की दिशा में बढ़ते कदम

15. युग निर्माण विचार-धारा अन्य भाषा क्षेत्रों में भी

16. ज्ञान यज्ञ के लिए निमन्त्रण

अखण्ड ज्योति जुलाई 1968

1. मुक्ति के लिए प्रयत्न

2. परमात्म-सत्ता से सम्बद्ध होने का माध्यम

3. सद्गुण साधना-सच्ची ईश्वर पूजा

4. सत्यं शिवं सुन्दर-हमारा परम लक्ष्य

5. चलते रहो-चलते रहो

6. सचाई जीवन की सर्वश्रेष्ठ रीति-नीति

7. प्रेम-साधना हमें परमात्मा से मिला देती हैं

8. आत्मिक प्रगति सद्ज्ञान पर निर्भर

9. जीवन काटे नहीं उसे उत्कृष्ट बनायें

10. दाम्पत्य जीवन को सफल बनाने वाले कुछ स्वर्ण सूत्र

11. अपना मूल्य, आप ही न गिराये

12. शारीरिक स्वच्छता पर पूरा ध्यान रखे

13. हम अध्यात्म को बुद्धि संगत एवं वैज्ञानिक स्तर पर प्रतिपादित करेंगे

14. वरदान नहीं मांगा करते

अखण्ड ज्योति जून 1968

1. उठो, जागो, आत्मदर्शी बनो

2. परमात्मा का आशीर्वाद और प्यार केवल सतपात्रों को

3. आनन्द का मूल स्त्रोत प्रेम ही तो हैं

4. अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल

5. हमारी प्रगति सामूहिक सहयोग पर निर्भर हैं

6. कामनाओं को नियंत्रित और मर्यादित रखे

7. विचारों का महत्व और प्रभुत्व

8. असंतुष्ठ रह कर चित्त को दुखी न करे

9. परिवार का आदर्श और उद्देश्य

10. तीस वर्ष में नया युग आकर रहेगा

11. गायत्री उपासना से प्राण शक्ति का अभिवर्द्धन

12. हमारा महत्वपूर्ण प्रकाशन

13. मानवता की पूजा

अखण्ड ज्योति मई 1968

1. मूल-स्त्रोत का सम्बल

2. ईश्वर हमारा सच्चा जीवन सहचर

3. प्रेम समस्त सद्प्रेरणाओं का स्त्रोत

4. आत्म-कल्याण बनाम विश्व-कल्याण

5. सेवा विहीन जीवन निन्दनीय

6. कामनायें असंगत न होने पाये

7. विचार शक्ति ही सर्वोपरि हैं

8. दोष-दृष्टि को सुधारना ही चाहिए

9. परिवार का आदर्श और विकास

10. शारीरिक-श्रम के प्रति अनास्था न रखे

11. जाति, उपजातियों का दायरा चैड़ा किया जाय

12. गायत्री द्वारा प्राण शक्ति का अभिवर्द्धन

13. अप्रेल, अंक दो बार पढ़े और कुछ खास कदम उठाये

14. आत्म-स्मरण

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1968

1. सच्ची व चिरस्थायी प्रगति के दो अवलम्बन

2. सकल किन्तु सर्वांगपूर्ण साधना-पद्धति

3. इस महान् अवलम्बन का परित्याग न करे

4. उपासना की सफलता के मूलभूत आधार

5. उपासना-कतिपय मार्मिक भावना-स्तर

6. आत्मिक प्रगति के दो महान् आधार

7. दैनिक उपासना की सरल किन्तु महान् प्रक्रिया

8. आत्म-कल्याण जप के साथ पय-पान का ध्यान

9. विश्व-कल्याण जप के साथ आत्मापर्ण का ध्यान

10. नित्य के दो पाठ - श्री गायत्री चालीसा

11. पूजा पद्धति और उसके मन्त्र

12. परम तेज पुंज ज्योति अवतरण-साधना

13. नवरात्रि में अनुष्ठान तपश्चर्या

14. उपासना ही नहीं, साधना भी

15. जीवन-साधना की चिन्तन पद्धति

16. हमारा समस्त जीवन की साधनमय बने

17. निवेदिता की गुरू दीक्षा

अखण्ड ज्योति मार्च 1968

1. सच्चा आत्म-समर्पण करने वाली देवी

2. आस्तिकवाद-विश्व का सर्वोत्कृष्ट दर्शन

3. आत्मा को देखे, खोजें और समझे

4. प्रेम का अमृत मधुरतम हैं

5. अपने छिपे महापुरूष को जगाइये

6. जीवन के सदुपयोग की रीति नीति

7. व्यक्ति का समाज के प्रति दायित्व

8. ज्ञान दान संसार का सबसे बड़ा दान

9. अनावश्यक आकांक्षाये और उनकी दूषित प्रतिक्रिया

10. मातृ शक्ति ही उद्धार करेगी

11. मांसाहार घृणित और मानवता के विरूद्ध हैं

12. सावित्री और सविता का सम्बन्ध

13. ज्येष्ठ के दो शिविर और उनमें आगमन

14. चार मास और एक वर्ष के प्रशिक्षण

15. महापुरश्चरण में हम सभी भाग ले और ऋत्विज बने

16. हमारा युग निर्माण सत्संकल्प

अखण्ड ज्योति जनवरी 1968

1. प्रकाश की आवश्यकता हमें ही पूरी करनी होगी

2. उपासना और साधना का प्रखर समन्वय

3. इस विषम वेला में हमारा महान् उत्तरदायित्व

4. जीवनोद्धेश्य की पूर्ति के लिए इतना तो करना होगा

5. हम समर्थ संघ शक्ति उत्पन्न करे

6. आध्यात्मिक स्तर पर उपासनात्मक अभियान द्वारा नव निर्माण

7. अन्तरिक्ष का परिष्कार-यज्ञ योजना द्वारा

8. विचार बदलें तो युग बदले

9. ज्ञान-यज्ञ को अधिकाधिक व्यापक बनाया जाय

10. जीवन कला और शिक्षा का समन्वित शिक्षण

11. चातुर्मास की साधना एवं शिक्षा का स्वर्ण सुयोग

12. लोक मंगल के लिए हम परमार्थ प्रयोजन में संलग्न हो

13. सेवा धर्म हमारे जीवन का अंग बने

14. आगामी बसन्त पंचमी इस तरह मनाये

15. आमंत्रण

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