मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

अद्भुत् विलक्षण वेला

।।ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः 
प्रचोदयात्।।

गायत्री तीर्थ शान्तिकुन्ज, हरिद्वार
गायत्री शक्तिपीठ, भीलवाड़ा फोन- 01483.227433

अद्भुत् विलक्षण वेला

वर्तमान युग परिवर्तन के महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा हैं। ध्वंस एवं सृजन की अद्भुत वेला हैं। वर्ष 2010-11 जिसमें माया कालसारणी (मायान्स कैलेण्डर), एक्स्ट्रा टेरिस्ट्रियल अर्थ मिशन, अर्थ शान टान्जिशन मूवमेन्ट आदि के अनुसार भूमण्डल का पाँचवा कालखण्ड समाप्त होकर छठवाँ कालखण्ड प्रारम्भ हो रहा हैं। धरती का पल्स रेट बढ़ना , आकाशगंगा से धरती का तारतम्य जुड़ना, सूर्य का एक विनाशकारी प्रवाह धरती की ओर बढ़ना आदि घटनाओं का कुछ लोग संसार समाप्त होने का अनगढ़ अर्थ लगाते हैं। किन्तु भविष्य दृष्टा-प्रज्ञा चक्षु अतीन्द्रिय क्षमता सम्पन्न मर्मज्ञ इसे उज्ज्वल भविष्य के रूप में देखते हैं। वेदमूर्ति पं. श्रीराम शर्मा आचार्य युगऋषि के अनुसार यह मनुष्य एवं मनुष्यता का भाग्य लिखने का समय हैं। 

यह बसन्त पर्व अतिविशिष्ठ 

यह बसन्त पर्व (8 फरवरी 2011) अतिविशिष्ठ हैं। तत्ववेत्ताओं के अनुसार यह बसन्त नवयुग सृजन का प्रखर प्रवाह लेकर आ रहा हैं। स्वामी विवेकानन्द ने नवयुग के सन्दर्भ में कहा-‘‘ठाकुर के जन्म के साथ ही नवयुग की दैवी योजना का सूत्रपात हो गया हैं।’’ योगीराज अरविन्द के अनुसार-‘‘युग सन्धिकाल की अवधि 175 वर्ष होती हैं। ’’रामकृष्ण परमहंस का जन्म फरवरी 1836 में हुआ। इसमें 175 जोड़ने पर 2011 आता हैं। दोनों महापुरूषों के कथन का निष्कर्ष यही निकलता हैं कि फरवरी 2011 से संधिकाल पूरा होकर कालचक्र नवयुग में प्रवेश करेगा। अतः बसन्त पर्व को नवयुग अवतरण पर्व के रूप में मनाकर युगदेवता का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता हैं। 

युगऋषि जन्मशती

विचित्र संयोग हैं कि ‘‘युग निर्माण योजना’’ के प्रर्वतक वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जिन्होने ‘‘युगऋषि’’ के रूप में प्रचण्ड तप साधना के माध्यम से गायत्री एवं यज्ञ को सबके लिए सुलभ किया। व्यास परम्परा अन्तर्गत वेद-पुराण, आर्ष-ग्रन्थों का भाष्य, आध्यात्म-विज्ञान, जीवन विज्ञान, साधना विज्ञान एवं सांसारिक समस्याओं के निदान हेतु हजारों पुस्तकें लिखी। शतसुत्री कार्यक्रम एवं जनजागरण केन्द्र के रूप में हजारों गायत्री शक्तिपीठों की स्थापना की। संस्कृति पुरूष, महान् स्वतन्तन्त्रता सेनानी, विचार क्रान्ति अभियान के जनक ‘‘युगऋषि’’ की जन्मशती भी बसन्त पर्व 2011 से प्रारम्भ हो रही हैं। इसी दिन उन्हें हिमालयवासी गुरूसत्ता का साक्षात्कार हुआ। वे अपना जन्म आध्यात्मिक जन्मदिन बसन्त पर्व को ही मानते रहे हैं।

नवयुग स्वागत सत्कार का भावपूर्ण आमन्त्रण/अनुरोध

‘‘युग निर्माण परिवार-गायत्री परिवार’’ से जुड़े परिजन इस विशिष्ठ बासन्ती प्रवाह को धाराबद्ध (चैनेलाइज) करने का प्रयास कर रहे हैं। किन्तु प्रकट होने वाला दिव्य चेतन प्रवाह तो किसी व्यक्ति, वर्ग संगठन की सीमा से परे सभी के लिए हैं। गायत्री परिवार प्रयत्नशील हैं कि अधिक से अधिक व्यक्ति प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ईश्वरीय योजना से जुड़कर अनुपम श्रेय-सौभाग्य के अधिकारी बन सके। अतः जो भी व्यक्ति, संगठन, वर्ग विशेष, नर-नारी, निम्नांकित कार्यक्रमों में से किन्ही में भी भाग लेना चाहे या (स्वयं ही सम्पादित करना चाहे) तो निःसंकोच प्रसन्नता पूर्वक भाग लेकर देवशक्तियों का आशीर्वाद ग्रहण करे। जो संगठन स्वतन्त्र रूप से दिव्य प्रवाह से जुड़ने की रूपरेखा बनाना चाहे तो गायत्री परिवार उन्हें सहयोग करेगा। 

कार्यक्रम इस प्रकार हैं। (सभी स्थानों पर एक साथ)

1. 6 फरवरी 2011, रविवार - प्रभातफेरियाँ, शोभायात्रा, कलशयात्रा। (सप्तक्रान्ति झाँकियों सहित)।

2. 7 फरवरी 2011, सोमवार (प्रातः सात बजे से सांय सात बजे तक, या चैबीस घण्टे) - अखण्ड दीप एवं अखण्ड जप (गायत्री मन्त्र या इष्ट मन्त्र से)। सबके लिए सद्बुद्धि, सबके लिए उज्ज्वल भविष्य की भावना पूर्वक। (गायत्री शक्तिपीठ, मन्दिर, देवालय, चैपाल आदि स्थानों पर।) 

3. 7 फरवरी 2011, सोमवार (सांयकाल) - नवयुग का स्वागत, दीपदान (नवयुग दीपोत्सव) न्यूनतम पाँच-पाँच दीपक (श्रद्धा-उत्साह अनुसार अधिक भी) घर-आँगन, द्वार, तुलसी स्थान, पूजास्थली आदि पर जलाएं। एक दीपक अपने मन्दिर-देवालय पर भी पहुँचावे। 

4. 8 फरवरी 2011, मंगलवार (प्रातः) - अखण्ड जप का समापन, बसन्त पर्व पूजन, गायत्री यज्ञ, श्रद्धांजलि संकल्प। 

5. 8 फरवरी 2011, मंगलवार (दिन में) - (सभी विद्यालयों में) सुविधानुसार समय पर बसन्त पर्व मनाने के साथ सरस्वती पूजन, विद्या-कला-संवेदना विस्तार तथा युग निर्माण (राष्ट्र निर्माण) संकल्प। 

6. 8 फरवरी 2011, मंगलवार (सांय) - युग निर्माण सम्मेलन, दीप यज्ञ। (गायत्री शक्तिपीठों पर।) 

ज्ञातव्य - लाखों स्थानों पर एक साथ एक उद्धेश्य से किए जाने वाले मन्त्र, जप एवं करोड़ों दीपदान (यज्ञ) का एक आलौकिक चेतन प्रवाह सुक्ष्म जगत में आच्छादित होगा। जो समष्टि के लिए कल्याणकारक होकर भागीदारों के लिए विशेष सुरक्षा कवच एवं सुख-सौभाग्य का दाता होगा। 

निवेदक - अखिल विश्व गायत्री परिवार, जिला - भीलवाड़ा, (राजस्थान), 
सम्पर्क सूत्र - 01482-227433, 09414000475, 09414115260

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