सोमवार, 12 दिसंबर 2011

कर्तव्य का पालन...


कोर्टमार्शल के सम्मुख तात्या टोपे को उपस्थित करने के बाद अँगरेज न्यायाधीशें ने कहा-‘‘यदि अपने बचाव के लिए तुम्हें कुछ कहना है तो कह सकते हो।’’

‘‘मैंने ब्रिटिश शासन से टक्कर ली हैं।’’

तात्या ने स्वाभिमानपूर्वक कहा-‘‘मैं जानता हूँ कि इसके बदले मुझे मृत्युदंड़ प्राप्त होगा। मैं केवल ईश्वरीय न्याय और उसके न्यायालय में विश्वास करता हूँ, इसलिए अपने बचाव के पक्ष में कुछ नहीं कहना चाहता।’’

नियमानुसार उन्हें फाँसी ही दी गई। वधस्थल पर ले जाते समय उनके हाथ-पैर बाँधे जाने लगे तो वे बोले-‘‘तुम मेरे हाथ-पैर बाँधने का कष्ट क्यों करते हो, लाओ, फाँसी का फंदा मैं स्वयं अपने हाथों से पहन लेता हूँ।’’

कर्तव्य का पालन करते हुए मृत्यु भी आ जाए तो श्रेष्ठ है।

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