शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

महानता ही वरेण्य है


महान उद्देश्य के लिये अपने छोटे से सांसारिक हित को शहीद कर देने की परम्परा का पालन करने वाले लोग ही संसार में महापुरुष हुए और मानवता को योगदान देने वाले काम कर सके । जो केवल स्त्री, बच्चे, पद-प्रतिष्ठा, धन और ऐश्वर्य की विडम्बना से चिपका रहा, वह तो संसार में व्यर्थ ही जिया और मरने वालों की एक संख्या बढ़ा गया । 
(वाङमय-५०, पृष्ठ-५.३१) 

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin