शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

आदमी वह ठीक हैं जिसका इरादा ठीक है ...

1) आध्यात्मिक विकास की सबसे बडी बाधा मनुष्य के अहंकार पूर्ण विचार ही है।
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2) आध्यात्मिक साधनाएँ बरगद के वृक्ष की तरह घीरे-धीरे बढती हैं, पर होती टिकाउ है।
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3) आध्यात्मिक वातावरण श्रेष्ठतर मानव जीवन को गढने वाली प्रयोगशाला है।
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4) आधा भोजन दुगुना पानी, तिगुना श्रम, चैगुनी मुस्कान
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5) आकांक्षा एक प्रकार की चुम्बक शक्ति हैं, जिसके आकर्षण से अनुकूल परिस्थितियाँ खिंची चली आती है।
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6) आप ढूँढे तो परेशानी का आधा कारण अपने में ही मिल जाता है।
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7) आपका व्यवहार गणित के शून्य की तरह होना चाहिये, जो स्वयं में तो कोई कीमत नहीं रखता लेकिन दूसरो के साथ जुडने पर उसकी कीमत बढा देता है।
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8) अज्ञान ही वह प्रधान बाधा हैं, जिसके कारण हम अपने लक्ष्य की ओर नही बढ पाते है।
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9) अज्ञान से मुक्ति ही सबसे बडा पुरुषार्थ हैं, सारे कर्मो का मर्म है।
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10) अज्ञानी रहने से जन्म न लेना अच्छा हैं, क्योंकि अज्ञान सब दुःखों की जड है।
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11) अज्ञानी दुःख को झेलता हैं और ज्ञानी दुःख को सहन करता हैं 
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12) आस्थाहीनता व्यक्ति को अपराध की ओर ले जाती है।
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13) आदमी वह ठीक हैं जिसका इरादा ठीक है।
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14) आदर-निरादर शरीर का और निन्दा-प्रशंसा नाम की होती हैं। आप इनसे अलग है।
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15) आत्मविद्या इस संसार की सबसे बडी विद्या और विश्व मानव की सुख-शान्ति के साथ प्रगति-पथ पर अग्रसर होते रहने की सर्वश्रेष्ठ विधि व्यवस्था है। किन्तु दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि इस संसार में प्राण-दर्शन की बडी दुर्गति हो रही हैं और इस विडम्बना के कारण समस्त मानव जाति को भारी क्षति उठानी पड रही है।
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16) आत्म ज्ञान का सूर्य प्रायः वासना और तृष्णा की चोटियों के पीछे छिपा रहता हैं, पर जब कभी, जहाँ कहीं वह उदय होगा, वहीं उसकी सुनहरी रश्मियां एक दिव्य हलचल उत्पन्न करती हुई अवश्य दिखाई देगी।
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17) आत्मबल का पूरक परमात्मबल है।
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18) आत्मविश्वास हो तो सफलता की मंजिल दूर नहीं।
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19) आत्मविश्लेषण किया जाए, तो शांति इसी क्षण, अभी और यहीं उपलब्ध है।
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20) आत्मविश्वास महान् कार्य करने के लिये सबसे जरुरी चीज है।
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21) आत्मनियन्त्रण से असीम नियन्त्रण शक्ति प्राप्त होती है।
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22) आत्मीयता का अभ्यास करने की कार्यशाला अपना घर है।
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23) आत्मा की पुकार अनसुनी नहीं करे।
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24) आत्मा का निर्मल रुप सभी ऋद्धि-सिद्धियों से परिपूर्ण होता है।

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