गुरुवार, 28 जुलाई 2011

सूर्यकिरण चिकित्सा

वेदों में सूर्यकिरण चिकित्सा का विवरण बड़े विस्तार से आता है। मत्स्यपुराण कहता हैं कि नीरोगिता की इच्छा हैं तो सूर्य की शरण में जाओ। वेदों में उदित होते सूर्य की किरणों का बड़ा महत्व बताया गया है। अथर्ववेद 17/1/30 में वर्णन आया हैं कि उदित होता सूर्य मृत्यु के सभी कारणों, सभी रोगों को नष्ट कर देता है। इस समय की इन्फ्रारेड किरणों में प्रचुर जीवनीशक्ति होती है। ऋग्वेद 1/50/11 में उल्लेख हैं कि रक्ताल्पता की सर्वश्रेष्ठ औषधि हैं उदित होते सूर्य के दर्शन, ध्यान। हृदय की सभी बीमारियाँ नित्य उगते सूर्य के दर्शन, ध्यान एवं अर्घ से दूर हो सकती है। (अथर्व.1/22/1)

सच्चा तीर्थ कौनसा हैं ?

सच्चा तीर्थ कौनसा हैं ? तीर्थसेवन से आशय क्या है, यह स्कंदपुराण से समझें-

‘‘सत्य तीर्थ हैं, क्षमा, इंद्रिय नियंत्रण भी तीर्थ हैं। सरलता भरा स्वभाव एवं जीव दया भी तीर्थ है। दान, मन का संयम, संतोष, ब्रह्मचर्य, प्रियवचन बोलना भी तीर्थ है। ज्ञान, धैर्य, तप को भी तीर्थ कहा गया है। तीर्थों में सबसे श्रेष्ठ तीर्थ हैं-अंतःकरण की पवित्रता।’’

अंत में स्कंदपुराण इस विषय में कहता हैं-‘‘जल में शरीर को डुबो लेना ही स्नान नहीं कहलाता। जिसने दमरूपी तीर्थ में स्नान कर मन के मैल को धो डाला, वही शुद्ध है, सच्चा तीर्थ सेवन करने वाला है।’’ चार धाम की यात्रा पर इन दिनों बेतहाशा भीड़ स्नान-दर्शन यात्रा पर निकली हैं। क्या वे इस मर्म से परिचित हैं ?

पीड़ा और प्रार्थना

पीड़ा और प्रार्थना में गहरा संबंध है। पीड़ा का अनुभव सकारात्मक हो, दृष्टिकोण रचनात्मक हो तो पीड़ा स्वतः ही प्रार्थना बन जाती है। ऐसा न हो तो हर पीड़ा निषेध व नकारात्मक दृष्टिकोण के जाल में उलझ-फँसकर कभी वैर बनती हैं तो कभी द्वेष बन जाती है। इतना ही नहीं, ज्यादातर दशाओं में यह वैर-द्वेष के साथ मन को संताप देना वाला विषम विषाद बन जाती है। जीवन को अवसन्न करने वाला अवसाद बन जाती हैं।

पीड़ा का अनुभव सकारात्मक होने का मतलब हैं अंतर्मन में प्रभु प्रेम उपस्थित होना, भगवान के मंगलमय विधान में गहरी आस्था होना। ऐसा हो तो जीवन की पीड़ाएँ दरद का उन्माद जगाने के बजाय प्रार्थना को जन्म देती है। ऐसी स्थिति में पीड़ा जितनी गरही होती हैं, प्रार्थना उतनी ही घनीभूत होती जाती है। पीड़ा के क्षणों में मन स्वाभाविक रूप से भगवान के समीप सरकने लगता है। सच तो यह हैं कि यदि पीड़ा दरद हैं तो प्रार्थना उसकी दवा है।

पीड़ा और प्रार्थना का यही मिलन तप है। तपश्चर्या का अर्थ धूप में खड़ा हो जाना नहीं हैं, न भूखे रहकर उपवास करना है। तपश्चर्या का सही अर्थ जीवन के पीड़ादायक क्षणों में भगवान के भावभरे स्मरण, सर्वस्व समर्पण व उनमें ही लीन होना है। यथार्थ तप है- जीवन के खालीपन को पीड़ा को उसकी समग्रता में अनुभव करना, जीवन की अर्थहीनता को उसकी पूरी त्वरा में अनुभव करना। जीवन की यह बेकार भाग-दौड़, जिसको अभी बड़ी उपयोगी समझते हैं, यदि अचानक यह निरर्थक लगने लगे तो बड़ी घबराहट होगी। गहरी पीड़ा पनपेगी। इस पीड़ा को झेलने का नाम, इसे भगवान के प्रेम व स्मरण तथा समर्पण में भीग कर सहने का नाम हैं तपश्चर्या। पीड़ा व प्रार्थना का अद्भुत मिलन जिसके भी जीवन में आता हैं, उसका जीवन स्वाभाविक ही रूपांतरित हो जाता है।

अखण्ड ज्योति जुलाई 2011

बुधवार, 27 जुलाई 2011

हमारा स्मारक

किसी को हमारा स्मारक बनाना हो तो वह वृक्ष लगाकर बना सकता है  वृक्ष जैसा उदार, सहिष्णु और शांत जीवन जीने की शिक्षा हमने पाई उन्हीं जैसा जीवनक्रम लोग अपना सकें तो बहुत हैं हमारी प्रवृति, जीवन विद्या और मनोभूमि का परिचय वृक्षों से अधिक और कोई नहीं दे सकता अतएव वे ही हमारे स्मारक हो सकते हैं

-पं. श्री राम शर्मा आचार्य

जनमानस का परिष्कार

"हमारे गुरु की आवश्यकता थी, इसलिए हम उनके इशारों पर कठपुतली की तरह नाचते रहे | उनका इशारा हमें स्पष्ट ध्यान में है | आज युग देवता का, महाकाल का इशारा यही है की हमको जनजाग्रति के लिए काम करना होगा | विचार-क्रांति अभियान आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है; क्योंकि इस युग की सभी समस्याएँ इसलिए पैदा हुई है की आदमी की अक्ल ख़राब ही गई है | न पैसा कम है, न कोई और चीज | बस, अक्ल ख़राब है | अक्ल को ठीक करने के लिए हमें विचार-क्रांति में हिस्सा लेना चाहिए | क्रियाकलापों में आदर्शवादिता का समन्वय यही है हमारा विचार-क्रांति अभियान | ऋषि और ब्राह्मण सदा से एक ही काम करते रहे हैं- जनमानस का परिष्कार | इसी के लिए युग देवता ने, महाकाल ने पुकार लगाईं है |"

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी

रामायण जीना सिखाती हैं, महाभारत मरना सिखाती है।

1) प्रेम तन्दरुस्त इन्सान का स्वभाव हैं और काम और मोह बीमार व्यक्ति का स्वभाव है।
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2) प्रेम आध्यात्मिक प्रगति का प्रधान अवलम्बन है।
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3) प्रेम आदान नहीं प्रदान चाहता है।
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4) प्रेम-तत्त्व अन्तःकरण में जितना होगा, उसी अनुपात में सद्गुणों का विकास होगा और इसी विकास से आत्मबल की मात्रा नापी जा सकती है। कहना न होगा कि आत्म-बल ही मनुष्य की गरिमा का सार हैं और उसी के बल पर बाह्म और आन्तरिक ऋद्धि-सिद्धिया उपलब्ध की जाती है।
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5) प्रेमी को प्रभु त्याग नहीं सकते।
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6) प्रेरणा जहा खतम होती हैं, नियति का आरम्भ वहीं से होता है।
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7) प्रजापति ने देव, दानव और मानवों का मार्गदर्शन करते हुए उन्हे एक शब्द का उपदेश किया था ‘ द ’। तीनो चतुर थे, उन्होने संकेत का सही अर्थ अपनी स्थिति और आवश्यकता के अनुरुप निकाल लिया। कहा गया था ‘ द ’। देवताओं ने दमन (संयम), दैत्यों ने ‘दया’, मानवों ने ‘ दान ’ के रुप में उस संकेत का भाष्य किया, जो सर्वथा उचित था।
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8) श्रद्धा का परिचय प्रत्यक्ष करुणा के रुप में मिलता है।
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9) श्रद्धा का अर्थ हैं परिपूर्ण विश्वास। ऐसा विश्वास जिसमें शंका-कुशंका का, तर्क-विर्तक आदि की कोई गुजाईश न हो।
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10) श्रद्धा का अर्थ हैं-श्रेष्ठता के प्रति अटूट आस्था।
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11) श्रद्धा के अभिसिंचन से पत्थर में देवता का उदय किया जा सकता है।
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12) श्रद्धा ही जननी है।
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13) श्रद्धा स्वयं में एक सशक्त मान्यता प्राप्त विज्ञान है।
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14) श्रद्धा वह अलौकिक तत्व हैं, जिससे पल-पल चमत्कार घटित होते है।
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15) श्रद्धा तत्परता की जननी हैं।
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16) श्रद्धा आविर्भाव सरलता और पवित्रता के संयोग से होता है।
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17) श्रद्धा और भक्ति के शिकंजे में परमात्मा को जकडा जा सकता है।
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18) श्रद्धा, विश्वास, साहस, धैर्य, एकाग्रता, स्थिरता, दृढता और संकल्प ही वे तत्व हैं, जिनके आधार पर साधनाए सफल होती है।
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19) श्रम ईश्वर की सबसे बडी उपासना है।
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20) श्रम करने में ही मानव की मानवता है।
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21) श्रम का अर्थ हैं-आनन्द और अर्कमण्यता का अर्थ हैं-दुःख।
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22) श्रम स्वर्ण का एक ढेला हैं, उसे जिस साचे में ढाल दीजिए, वैसा ही आभूषण बन जाएगा।
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23) श्री कृष्ण को प्रणाम करके यदि यात्रा प्रारम्भ की जाये तो विजय प्राप्त होती है।
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24) रामायण जीना सिखाती हैं, महाभारत मरना सिखाती है।

प्रसन्नता सब सद्गुणों की जननी है।

1) प्रामाणिकता मानव जीवन की सबसे बडी उपलब्धि है। वह उत्तरदायित्व निबाहने, मर्यादाओ का पालन करने और कर्तव्य पालन में सतत् जागरुक रहने वालो को ही मिलती है।
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2) प्रामाणिकता ही प्रतिष्ठा की आधारशिला है।
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3) प्रार्थना प्रातःकाल की चाबी और सांयकाल की सांकल है।
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4) प्रार्थना से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढती हैं।
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5) प्रार्थना वही कर सकता हैं जिसकी आत्मा उच्च हो।
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6) प्रारम्भ सुंदर अंत भयंकर यह हैं-भोग, 
प्रारम्भ कष्टदायक, अंत आनन्ददायक यह हैं-त्याग।
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7) प्रज्ञा का अर्थ हैं-स्वविवेक। इतना दृढ जिसमें अपना संकल्प ही मूर्तिमान हो सके। किसी से पूछने की कोई गुंजाइश ही न रहे।
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8) प्राचीन महापुरुषों के जीवन से अपरिचित रहना जीवन भर निरन्तर बाल्य अवस्था में रहना है।
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9) प्राचीन समय में जब धरती का वातावरण सतयुगी था तो प्रत्येक व्यक्ति उत्कृष्ट चिन्तन और श्रेष्ठ आचरण वाला ऋषि पैदा हुआ करता था। तब उनकी जनसंख्या तैतीस करोड थी। इसी कारण कर्मकाण्डो में तैंतीस कोटि देवताओं के रुप में आज भी उनका आवाहन और स्थापन किया जाता हैं।
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10) प्रातः धर्म सेवन, मध्यान्ह अर्थ सेवन और रात्रि काम सेवन करना चाहिये।
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11) प्रसन्न रहना ईश्वर की सबसे बडी सेवा है।
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12) प्रसन्न रहने के दो ही उपाय हैं - आवश्यकतायें कम करे और परिस्थितियों से तालमेल बिठाये।
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13) प्रसन्नचित्त व्यक्ति अधिक जीते है।
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14) प्रसन्नता सब सद्गुणों की जननी है।
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15) प्रत्येक का उपदेश सुनो पर अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो।
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16) प्रत्येक पापी का भविष्य हैं, जैसे हर संत का एक भूत था।
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17) प्रत्येक व्यक्ति जिससे में मिलता हू, किसी न किसी बात में मुझसे बढकर हैं और वही में उससे सीखता हूँ।
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18) प्रेम की ही पराकाष्ठा प्रार्थना बन जाती है।
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19) प्रेम को जगाओ। और मै जानता हूँ कि तुम परमात्मा के प्रेम में एकदम नहीं पड सकते। तुमने अभी पृथ्वी का प्रेम भी नहीं जाना, तुम स्वर्ग का प्रेम कैसे जान पाओगे ? इसलिये मैं निरन्तर कह रहा हूँ कि मेरा संदेश प्रेम का हैं। पृथ्वी के प्रेम को तो जानो, तो फिर वही प्रेम तुम्हे परमात्मा के प्रेम की तरफ ले चलेगा। ओशो।।
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20) प्रेम के बिना ज्ञान बिना मल्लाह की नौका है।
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21) प्रेम में मनुष्य सब कुछ देकर भी यह सोचता हैं कि अभी कम दिया है।
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22) प्रेम में स्थिरता और दीर्घता लाने के लिए मनुष्य के पास विशाल मस्तिष्क भी होना चाहिये।
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23) प्रेम ही आत्मा का प्रकाश है, जो इस प्रकाश मे जीवन पथ पर अग्रसर होते हैं उसके संसार में शूल नहीं फूल नजर आता है।
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24) प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करों, बुरा किसी का मत करो।

अखण्ड ज्योति फरवरी 1968
















मंगलवार, 26 जुलाई 2011

अखण्ड ज्योति मार्च 1988
































अखण्ड ज्योति फरवरी 1988



































सोमवार, 25 जुलाई 2011

never come back-Time, Words & Opportunity.

1- A relation is like a lovly bird,
If u catch tightly it dies,
If u catch it losely it flies,
Bt if u catch Affectionately it remains with u whole life. 
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2- Night is longer than day for those who dream & Day is longer than nights for those who MAKE their DREAMS come true. . 
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3- You can See Many Lips Smiles for you. But its Difficult to get an Eyes Which Cries Only for you. Ever you Miss That Lips But Never Miss That Eye. 
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4- Good times become good memories, bad times become good lessons. You never lose, you only gain from life "Keep Smiling". 
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5- Thought about 'Success & Failure'... For both you have to pay the price. For success, you pay BEFORE & for failure, you pay AFTERWARDS. 
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6- Three things of life that once gone, never come back:
Time, Words & Opportunity. 
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7- "If everything is under control, you are going too slow." ---- Mario Andretti . 
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8- Life is short, so follow sum rules, forgive quickly, believe slowly, love truly, laugh loudly n never avoid anything that makes u smile. 
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9- Treat everyone with politeness even those who are rude to you... Not because they are not nice, but because you ARE NICE....! . 
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10- Apply This Attitude 4 Life-
"Log Mere Bare Me Kya Sochte Hai,
Agar Ye Me Sochu To Phir Log Kya Sochege..!"
blv on ur self. 
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11- Chehre ki hsi se hr gm ko mita do,
Bhut km bolo pr sb kuch bta do
Khud na rutho pr subko mna lo,
Yahi RAAZ h zindgi ka,
jeo esa k Jina sikha do. 
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12- Best relations dont need any promises, terms or conditions.They just need 2 wonderful people "one who can trust n one who can understand" 
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13- Respect d old wen u r young, Help d weak wen u r strong, Confess d fault wen u r wrong.
Bcoz 1day in life, u wil b Old, Weak & Wrong 
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14- Best lines i've read: 
"HONESTY is a very expensive gift dont expect it from CHEAP people." 
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15- Best attitude Message: " I'm responsible 4 what i say... not 4 what u understand..." 
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16- Zindagi me sukh dukh aate hi rhte h magar inke karn hm apne kartvay ko na bhule, nhi to hmari zindgi murjhaye phool ki trh ho jayegi. 
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17- BeautifuL Thought:
"Living alone is a special enjoyment when chosen by ourself
But hard to digest when gifted by others" 
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18- Beautiful lins frm shakspeare:
"Close ur eyes & think abt ur lovable persn & momnts spnt with them.Then watch ur lips wil automticaly SMILE" 
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19- Beautiful lines-
"RIVERS" Never go "REVERSE" So try to Live like a RIVER, Don't look back. Focus on your TARGET ahead. 
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20- "When My absence doesn't alters someone's life, then My presence has no meaning in their life". 
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21- Fantastic Quote About Life:
Nothing is "Prewritten" and nothing Cannot Be "Re-Written!" 
So Live d Best and Leave d worst.. 
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22- Fact Of Life-
Don't Be Upset If We Choose d Wrong Person Sometimes Coz Otherwise How Would We Know d True Value Of d Right Ones..!! 
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23- Dusro par "Atention" doge to khud ko "tention" hoga.
Radhe-Radhe... 
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24- EK SACH:
Bolne Se Pehle,
Lafz Insaan Ke Ghulam Hote Hain...
AUR
Bolne Ke Baad Insaan Apne Lafzau Ke Ghulam Ban Jata Hain.
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प्रशंसा अज्ञान की बेटी हैं।

1) प्रबल इच्छा शक्ति से ही व्यसन मुक्ति सम्भव है।
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2) प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन से अधिक मनुष्य श्रेष्ठ बने है।
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3) प्रकृति का नियम स्वास्थ्य हैं, बीमारी नही।
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4) प्रकृति का अनुसरण करो - धैर्य उसका रहस्य है।
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5) प्रकृति कोई कार्य व्यर्थ नही करती है।
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6) प्रकृति के नियमों का पालन कीजिये।
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7) प्रमादपूर्ण जीवन संसार की सारी बुराइयों और व्यसनों का जन्मदाता है।
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8) प्रसिद्ध विचारक टेलहार्ड द कारडियन ने मनुष्य के अस्तित्व और अनुभूति के सम्बन्ध में लिखा हैं, हम कोई मनुष्य नहीं है।, जिसे आध्यात्मिक अनुभव हो रहे हों, बल्कि हमारा स्वरुप ही अध्यात्म है, अध्यात्म चेतना जो मनुष्य होने के अनुभव से गुजर रही है।
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9) प्रतिकूलता, शत्रुता, अभाव, भय, आशंका, उपेक्षा आदि का अनुभव होते ही सब कुछ नीरस हो जाता हैं। इतना ही नही भयानक दीखने लगता है। यही हैं - अपने मन का चोर, जो चारों ओर प्रेत पिशाच बन कर नाचता हैं और जीवन का सुख-शान्ति को निगल जाता हैं। भीतर विक्षोभ पडे हो तो बाहर विदु्रपता रहेगी ही। भीतर शान्ति और सन्तोष हो तो बाहर स्नेह, सौजन्य भरा वातावरण दीखेगा ही।
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10) प्रतिदिन सुबह और शाम मन लगाकर भगवान का स्मरण अवश्य किया करो, इससे चैबीसो घन्टे शान्ति रहेगी और मन बुरे संस्कारों से बचेगा।
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11) प्रतिभा के मायने हैं बुद्धि में नई-नई कोंपले फूटते रहना। नई कल्पना, नया उत्साह, नई खोज, नई स्फूर्ति ये सब प्रतिभा के लक्षण है।
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12) प्रतिभा में जो सबसे अच्छी बात होती हैं, उसे वह सबसे पहले दे देती हैं और दूरदर्शिता सबसे बाद में देती है।
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13) प्रतिभावान वह हैं जिसमें समझदारी और कार्य शक्ति विशेष हो।
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14) प्रभु को पाने का प्रयास करेंगे तो प्रभुता अपने आप ही दासी हो जाएगी।
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15) प्रभु ने दो-दो कर दिये करो कमाई आप, पराधीनता सम नहीं और दूसरा पाप।
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16) प्राणी नित्य जैसा अन्न खाता हैं, उसकी वैसी ही सन्तति होती है।
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17) प्राणीमात्र के प्रति दयाभाव रखना तथा सदैव ईमानदार बने रहना परम धर्म है।
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18) प्राणीमात्र में आत्मीयता व दया ही धर्म है।
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19) प्राणवान संकल्प साधनहीन परिस्थितियों में भी उगते-बढतें और फलते-फूलते है।
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20) प्रशंसको पर ही प्रसन्न न हो। महत्व उन्हे भी दो जो सही आलोचना कर सकते है।
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21) प्रशंसा कर्तव्य परायणता के लिये बाध्य करती हैं, और चापलूसी कर्तव्य विमुखता की ओर ले जाती है।
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22) प्रशंसा वहा आरम्भ होती हैं, जहा परिचय समाप्त होता है।
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23) प्रशंसा अज्ञान की बेटी हैं।
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24) प्रशंसा और चापलूसी में वही अन्तर है जो अमृत और विष में। प्रशंसा से व्यक्ति को प्रोत्साहन मिलता हैं और वह अपना उत्कर्ष करने की ओर बढ़ने लगता हैं जबकि चापलूसी व्यक्ति में मिथ्याभिमान जगा देती हैं और उसे पतन के गर्त में धकेल देती हैं और दिग्भ्रमित कर देती है।

रविवार, 24 जुलाई 2011

प्रशंसा भी एक अदृश्य पिंजरा ही है।

1) पुरुषार्थी बढते हैं और सिद्धिया पाते है।
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2) पुरुषार्थ मेरे दाये हाथ में हैं और सफलता मेरे बाये हाथ में।
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3) पुण्य-परमार्थ का कोई भी अवसर टालना नहीं चाहिये।
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4) पुत्र और शिष्य के सामने हार जाना ही विजय है।
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5) पुत्रेष्णा, वित्तेषणा, लोकेषणा से बचे।
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6) पुरानी गलतियों को सुधारना ही अभ्यूदय के मार्ग मे आगे बढना है।
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7) पुस्तक ही एकमात्र अमरत्व है
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8) पुस्तक जेब में रखा हुआ बगीचा हैं, जिसकी सुगंध आस-पास के लोगों को भी महका सकती हैं।
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9) पुस्तकों की उपयोगिता अध्ययन से ही हैं अन्यथा वे कीडों का भोजन बनने के सिवा कुछ नहीं करती है।
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10) पुस्तकों का अध्ययन ऐसी साधना हैं, जिससे मनुष्य अपने अन्तर्बाहृ जीवन का पर्याप्त विकास कर सकता है।
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11) पुस्तके वे दर्पण हैं, जिनमें संतो तथा वीरों के मस्तिष्क हमारे लिये प्रतिबिम्ब होते है।
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12) पत्थर आखिरी चोट से टूटता हैं, पर पहले की चोंटे भी बेकार नहीं जाती।
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13) पैर फिसलने की अपेक्षा जुबान फिसलने पर संभलना ज्यादा मुश्किल हैं।
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14) पैरो को धोने के बाद ही भोजन करें , किन्तु पैरो को धोकर ( गीले पैर ) शयन न करे।
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15) पैसा ईमानदारी से कमायें और शराफत से खर्च करे।
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16) पैसे से भी महत्वपूर्ण सम्पत्ति हैं-समय। खोया हुआ पैसा फिर पाया जा सकता हैं, पर खोया हुआ समय फिर कभी लौट कर नही आता।
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17) पूर्णतः भले व्यक्ति सिर्फ दो हैं, एक वह जो मर गया और दूसरा वह जो अभी पैदा नहीं हुआ।
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18) पूछने वाला एक बार मूढ बनता है, मौन धारण करने वाला आजीवन।
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19) पूर्व या दक्षिण की ओर सिर रखकर सोने से आयु बढ़ती है।
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20) पूर्व अवस्था में वह कार्य करें,जिससे वृद्ध होकर सुख पूर्वक रह सके और जीवन पर्यन्त वह कर्म करें, जिससे मरकर परलोक में सुखपूर्वक रह सके।
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21) पूर्वकाल में पढी हुयी विद्या, पूर्वकाल में दिया गया दान एवं पूर्वकृत कर्म मनुष्य के आगे-आगे चलते है।
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22) पूत-सपूत वही कहलाता, जो मात-पिता-गुरु मान बढाता।
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23) पूज्य गुरुदेव गायत्री महामंत्र के माध्यम से ऋतम्भरा प्रज्ञा और वर्चस की साधना करते थें। इन होनो ही तत्वों को वे अपने आत्मदेवता में समाविष्ट मानते थें। उनका मत था कि जिसने अन्तःकरण को तपोवन बना लिया व वहा एकनिष्ठ होकर ब्रह्मचेतना से तादातम्य स्थापित करने का प्रयास किया वही सच्चा साधक है।
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24) प्रशंसा भी एक अदृश्य पिंजरा ही है।

शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

An Inspiring Facts

1- "A lamp does not speak. It introduces itself thrugh it's light.
Achievers never expose themselves. But their achievements expose them..!!! 
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2- KAM ASA KRO ki pahchan bn jaye.
hr kdm chlo asa ki nishan bn jaye.
jindgi to sbhi kat lete h mere dost.
tu jindgi g ase ki misal bn jaye. 
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3- God has 3 answers for each prayer-
1.Yes
2.Wait
3.I have another plan for u 
But he nvr says NO
Trust him always and he will bless U. 
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4- "Water & Words
Easy to flow, impossible to recover...
" Use scarcely & wisely.. 
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5- We always feel that God never comes on time when v call Him.
But d truth is. "He is always on time. But, v r always in hurry. be Patience. 
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6- 1 of d best line said- 
If u r nt happy being single,
u'll nvr b happy in a relationship.!
Get ur own life 1st, den try to share it with sm1. 
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7- Jab tak hum par lalch ka saya sawar hai tab tak humari aankhe khulna asambhav hai apne kartvay ko pahchane aur lobh ka tyag kare. 
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8- "Yesterday I was clever. So I wanted to change the world. But Today I am wiser. So I have decided to change myself." 
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9- "When u have PAINS in life"
Always remember the expansion of PAINS 
P. Positive
A. Approach
I. In
N. Negative
S. Situation 
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10- "U may B close wth some 1 who makes u "HAPPY", bt b close wth someone who cant b "HAPPY WITHOUT U" it makes a lot of difference in "LIFE" 
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11- "kar Bhala to ho Bhala"
Dusro k Dukh door karo.
agr aap dusro k Dukho ko nhi dekhoge to Bhagwan tumhare Dukho ko kese dekhenge. 
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12- "Jo Apne Man Ko Vash Me Nahi Karte, Hriday Ko Shuddh Nahi Banate Ishwar Ke Prati Unki Sab Prarthana Vyarth H" 
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13- A gr8 thinker was asked-
What is d meaning of life ?
He replied-
"LIFE itself has no meaning, 
LIFE is an OPPORTUNITY to create a MEANING". 
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14- "Jivan Me Aane Wali Prtyek Kthinayan, Manushya K Andar Chhipi Hui, Pratibha Ko Viksit Krne Me Mhtwapurn Bhumika Nibhati H" 
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15- "If you wish to travel far and fast, travel light. Take off all your envies, jealousies, unforgiven, selfishness and fears." 
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16- An Inspiring Fact-
If u can laugh when u r completely broken up, then there is nothing in this World that can break u next time"... 
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17- 'All Beautiful Things Start From Heart & All Bad Things Start From Mind..
Never Let The Mind Rule Ur Heart..
Let The Heart Rule Ur Life..! 
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18- Amzing lines wich i lyk d most..!
..Yes.... I've made
"MISTAKES"!! 
Cuz lyf din't come wid "INSTRUCTIONS".... 
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19- Agr khud pe or Khuda pe bhrosa krna SIKHNA h to PRINDO Se SIKHO. 
Jb Wo SHAM ko GHAR Waps Jate h
to UnKi CHOCH Me Kal K Lie Koi DANA Nhi Hota. 
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20- A wise man can learn more from a foolish question than a fool can learn from a wise answer.
-Read again 
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21- A teacher informs
A good teacher explains
A superior teacher demonstrates
A Master inspires u by his being & learning happens. 
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22- A River Cuts the Rock,
Not Because of its Power,
But
Because of its Consistency.
So Never Loose Your Hope
& Keep Walking Towards the Target. 
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23- A Relation is Not How Long
We have Been Together.
Not How Much We Give Or Take.
Not How Many Times We Talk.
Its All About How We Value Each Other. 
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24- Knowledge Speaks But Wisdom Listens. 
Gyan bolta h buddhi sunti h. 

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