बुधवार, 15 जून 2011

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1985

1. सच्ची और झूठी प्रार्थना

2. अर्जुन का असमंजस

3. आत्मिक प्रगति का राजमार्ग

4. अपने को परिष्कृत करें और सिद्धियों के भण्डार बने

5. प्रतिभा-जागरूकता और तत्परता की परिणति

6. स्वर्ग या नरक में से किसी एक का चुनाव

7. निष्काम कर्मयोग एंव मुक्ति

8. सशक्तता शक्तियों के सदुपयोग पर अवलम्बित

9. व्रतशीलता बनाम हठवादिता

10. मानवी सत्ता हर दृष्टि से अनुपम, अद्भुत और आश्चर्यजनक

11. तर्क एवं श्रद्धा का समन्वित रूप-धर्म

12. प्रेम ही परमेश्वर है

13. कर्मफल का सुनियोजित व्यवस्था क्रम

14. मनोनिग्रह और आत्मिक उत्कर्ष

15. मनुष्य की विलक्षण सत्ता

16. चेतना ने पदार्थ बनाया

17. ब्रह्माण्ड के हृदय की धड़कन

18. विज्ञान के लिए भारी शोध कार्य करने को पड़ा है

19. यौन परिवर्तन की विचित्र घटनाएँ

20. प्रतिभा का उपयोग शालीनता के लिए

21. शक्तियों के दो ध्रुव केन्द्र

22. जाको राखे साइयाँ मार सके ना कोय

23. मानवी सत्ता चिर पुरातन हैं

24. भारतीय परम्परा और संगीत उपचार

25. प्रथम सन्तान

26. शिखा सूत्र-हिन्दू संस्कृति के प्रतीक चिन्ह

27. महायुद्ध की तैयारियाँ समय रहते रूक जाय

28. अपनो से अपनी बात-‘‘गुरूदेव का श्रावणी सन्देश’’

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