सोमवार, 13 जून 2011

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1983

1. परिवर्तन प्रगति की पहली सीढ़ी

2. कृतघ्नता किसी भी स्थिति में नहीं

3. सयम रहते चेतने का ठीक यही अवसर

4. विवेक ने खोले-अन्तर्चक्षु

5. अन्तः के देवासुर संग्राम का अभीष्ट समाधान

6. अपनी राह बनायें, अपने बूतें आगे बढ़े

7. आत्मिक प्रगति के चार सौपान

8. निर्भय बने, प्रसन्न रहे

9. मानवी पुरूषार्थ की एक संकल्प भरी यात्रा

10. पराक्रम भीतर से उफनता हैं

11. मानव मस्तिष्क का विलक्षण रसायन शास्त्र

12. सपनो के माध्यम से अनुदान बरसाने वाले अदृश्य सहायक

13. वंशानुक्रम की उत्कृष्टता-सुप्रजनन का मूल आधार

14. पृथ्वी के पिंजड़े से निकल भागने की महत्वाकांक्षी योजना

15. हम जल्दी ही विशाल बिरादरी के सदस्य बनेंगे

16. ऋतम्भरा प्रज्ञा की अराधना-अभ्यर्थना

17. गायत्री मन्त्र के सफलता के आधार

18. एक महान् सामर्थ्यवादी प्रक्रिया-प्राणायाम

19. यज्ञ प्रयोजनों में पवित्र अग्नि का उपयोग

20. अपनो से अपनी बात-युग साहित्य की संजीवनी घर-घर पहुँचाने हेतु दो नये कदम

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