सोमवार, 13 जून 2011

अखण्ड ज्योति फरवरी 1983

1. शाश्वत जीवन को सुसम्पन्न बनाना श्रेयस्कर हैं

2. प्रसन्नता सम्पन्नता पर निर्भर नहीं

3. सृजेता की एक अनुपम कृति-यह सृष्टि

4. महानता भीतर से उभरती हैं, ऊपर से नहीं टपकती

5. आधुनिक मनोविज्ञान का उपनयन संस्कार किया जाय

6. विज्ञान और अध्यात्म में विरोध कहाँ ?

7. पुरातन ज्ञान सम्पदा से भविष्य की सुसम्पन्नता

8. काया पर समग्र नियन्त्रण की दिव्य क्षमता

9. भविष्य कथन-असम्भव नहीं

10. आइये ! अपनी विस्मृत धरोहर का स्मरण करे

11. प्रेतात्माओं का स्वरूप एवं स्वभाव समझने में हर्ज नहीं

12. दृश्य प्रकृति की अविज्ञान विलक्षणतायें

13. ‘‘न मनुष्यात् श्रेष्ठतरम् हि किंचित्’’

14. ‘‘यज्ञ’’ भारतीय दर्शन का इष्ट आराध्य

15. शक्ति की अधिष्ठात्री-त्रिपदा गायत्री

16. कुण्डलिनी का निवास, स्वरूप ओर प्रतिफल
16. उपचार या परिष्कार

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