सोमवार, 13 जून 2011

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1983

1. समष्टि की साधना का तत्व दर्शन

2. मैं नित्य जिन्दा प्रेतों को दफनाता हूँ

3. ‘‘तमेव विद्वान न विभाय मृत्योः’’

4. पूर्वाग्रह छोड़े, आत्मिकी का अवलम्बन लें

5. ‘‘इन्द्रोः मायाभिः पुरूरूप ईयते’’

6. बिना सद्ज्ञान के अधुरा हैं भौतिक ज्ञान

7. कर्मयोग के उपासक-आराधक

8. पत्तो को नहीं, जड़ो को सींचा जाय

9. विकलांगता प्रगति में बाधक न बन सकी

10. साहस ही सफलता के लक्ष्य तक पहुँचाता हैं

11. मानवी अन्तराल में सन्निहित दिव्य विभूतियाँ

12. अतीन्द्रिय क्षमताओं का सुविस्तृत भण्डार

13. प्राण ऊर्जा का ज्वाला रूप में प्रकटीकरण

14. चेतना क्षेत्र के रहस्यमय भण्डार को भी कुरेदा जाय

15. जिन्दगी और मौत की आँख मिचैनी

16. सौभाग्यों और दुर्भाग्यों की अविज्ञात श्रंखला

17. मानवी विलक्षणताओं के आधार की अभिनव खोज

18. सामान्य शरीर में असामान्य विलक्षणताएँ

19. डाक्टर कावूर और उनकी चुनौति

20. देवलोक वासियों का सत्प्रयोजन के लिए धरती पर आगमन

21. अनतर्ग्रहीय आदान-प्रदान के केन्द्र-ध्रुव प्रदेश

22. ओछे लोगों की उद्धत सनक फिजूलखर्ची

23. अध्यात्म की ओर मुड़ता लोकमानस

24. गंध की प्रभाव क्षमता

25. वाक्शक्ति की अधिष्ठात्री-गायत्री

26. अपनो से अपनी बात-समझदारी को समय की जिम्मेदारी निभानी होगी

27. बढ़ती आवश्यकतायें और उठते कदम

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