सोमवार, 13 जून 2011

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1982

1. मनीषा तप-तितिक्षा में तपे और खरी उतरे

2. कल्प साधना की पृष्ठभूमि और विधि व्यवस्था

3. उच्च स्तरीय प्रयोजन के लिए उपयुक्त वातावरण

4. आहार तपश्चर्या के चमत्कारी परिणाम

5. आहार साधना एक महत्वपूर्ण तपश्चर्या

6. साधना ही नहीं, जीवन निर्माण का अनुपम शिक्षण भी

7. प्रशिक्षण में समग्र उत्कर्ष के बीजान्कुर

8. नियमित रूप से चलने वाली प्रज्ञा-योग साधना

9. प्रज्ञायोग की आत्मबोध, तत्वबोध प्रक्रिया

10. कल्प साधना का क्रिया पक्ष

11. त्रिविधि मुद्रायें और उनकी प्रतिक्रियाएँ

12. तीन विशिष्ट प्राणायाम और उनके प्रतिफल

13. कल्प-साधना के सरल किन्तु अति महत्वपूर्ण तीन योगाभ्यास

14. अन्तराल के मर्मस्थल का प्रभावी परिशोधन

15. भावी जीवन पंचशीलों के साथ जुड़े

16. तीर्थ सेवन और कल्प साधना का सार्थक समन्वय

17. प्रायश्चित और उत्कर्ष के लिए ज्ञान-यज्ञ का प्रज्वलन

18. सरल, सुलभ किन्तु सम्भावनाओं से भरी-पूरी एक महान् स्थापना

19. छोटी बीजारोपण की सुविस्तृत परिणति

20. दिव्य अनुदान की ध्यान-धारणा

21. विज्ञान और धर्म

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