शनिवार, 11 जून 2011

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1980

1. परिष्कृत जीवन प्रत्यक्ष कल्प वृक्ष

2. सफलता के लिए समग्र पुरूषार्थ

3. ईश्वर क्षमा कर दे तो भी पाप दण्ड नहीं मिटेगा

4. सीश दिए जो गुरू मिले तो भी सस्ता जान

5. श्रद्धावान होने का अर्थ अन्ध श्रद्धा नहीं हैं

6. श्रमनिष्ठा और उसकी परिणति

7. आँख भी सच कहाँ देखती हैं ?

8. मनोबल ही जीवन शक्ति हैं

9. नियन्त्रण भावनाओं का भी किया जाय

10. मस्तिष्क को सृजन प्रयोजनो में लगाये

11. दूसरों के कामों में दिलचस्पी लेना

12. पूज्य गुरूदेव का विशेष लेख-संदेश-सामयिक पाँच पुण्य प्रयोजन जो प्रज्ञा पुत्रों को इन्ही दिनों पूरे करने हैं

13. प्रकृति द्वारा निद्रा का उपयोग स्वप्न

14. दोष जाने और हटाये बिना स्वयं को शुद्ध न मान ले

15. प्राकृतिक जीवन जिए-नीरोग रहे

16. भविष्य में मनुष्य कैसा होगा ?

17. जीव जगत का संकट आगे मनुष्य जाति पर आयेगा

18. संकट के लिए बचत आवश्यक

19. अनैतिकता छिपाये नहीं छिपती

20. बड़प्पन सादगी और शालीनता में है

21. तृतीय विश्वयुद्ध के गहराते बादल

22. अपनो से अपनी बात

23, जीवन साधना

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