शनिवार, 11 जून 2011

अखण्ड ज्योति अगस्त 1980

1. देवत्व पर विजय

2. यात्रा शून्य नगर से भविष्य नगर की

3. यह अलभ्य अवसर यों ही न चला जाय

4. कृतज्ञ नहीं वह मनुष्य नहीं

5. आत्मिक प्रगति का मूल आधार श्रद्धा

6. सारी पृथ्वी साबुन न बन जाये

7. संकटों के निराकरण में आस्तिकता का योगदान

8. अविज्ञात सृष्टि के अविज्ञात रहस्य

9. प्रकृति का गला न घोंट दिया जाय

10. शरीराणि विहाय जीर्णानि अन्यानि संयाति नवानि देहि

11. तात्कालिक नहीं दूरवर्ती हितों का प्रश्रय मिले

12. दोष मत दीजिए, कैच ठीक करिए

13. ग्रहों के प्रभाव का लाभ उठाये

14. यन्त्र मानवों की गुलामी के लिए तैयार रहें

15. शिक्षा का आदर्श क्या होना चाहिए ?

16. परम्परायें नहीं, उनकी प्रासंगिकता महत्वपूर्ण हैं

17. भोजन ही नहीं शोधन भी

18. तीसरे विश्वयुद्ध की सर्वनाशी विभीषिका

19. मृत्यु पर्यन्त चिर युवा कैसे रहें ?

20. वृद्धावस्था अर्थात् अमृत आनन्द

21. अपनो से अपनी बात

22. गायत्री चरण पीठें और नव सृजन की सम्भावनाएँ

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