गुरुवार, 9 जून 2011

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1978

1. भूत न बनें, देवत्व की ओर बढ़े

2. यह सच या वह सच

3. युग क्रान्ति में गायत्री यज्ञों की भूमिका

4. कुछ हैं जो इन्द्रिय चेतना से परे है

5. जीवन की पहेलियाँ और विचित्रतायें

6. चेतना की निस्सीमता को समझें और साधे

7. आत्मा न स्त्री हैं न पुरूष

8. श्रद्धा सत्यमाप्यते

9. ।।मन एवं मनुष्याणां कारणं बन्ध मोक्षयो।।

10. अमृतपान से वंचित

11. चाहें जो बन जायें-इतनी भर ही छुट्टी है

12. प्रार्थना का अर्थ मांगना नहीं है

13. प्रार्थना के सही स्वरूप से अभीष्ट प्राप्ति

14. प्रकृति-उपभोग्य ही नहीं उपास्य भी

15. पेड़ तो चल पड़े-पर मनुष्य बैठा है

16. वानप्रस्थ-नवयुग का प्रमुख आधार

17. क्षुद्र प्राणियों का विशाल अन्तःकरण

18. प्रतिगृह का दान

19. प्रेम और करूणा का चुम्बकीय आकर्षण

20. दिलदार पत्थर और संगीतकार रेत

21. चिरयौवन का रहस्य

22. संकल्प शक्ति का उपार्जन उपयोग !

23. मृत्यु अर्थात् जीवन का अन्त नहीं

24. शक्तियों का क्षरण रोका जाय

25. अकेलेपन को पहचानिये

26. कर्मयज्ञ से सिद्धि

27. भावना क्षोभ से मुक्ति अर्थात् रोग से छुट्टी

28. अपनो से अपनी बात-अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय का समग्र अनुसन्धान

29. अनुदान-कविता

30. युग क्रान्ति में गायत्री यज्ञों की भूमिका

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