गुरुवार, 9 जून 2011

अखण्ड ज्योति अगस्त 1978

1. आस्था ही आस्तिकता

2. धर्म हमें अन्तिम सत्य तक ले पहुँचता हैं

3. चेतना का हाथी भौतिकों की सुतली से न बाँधे

4. आत्म निर्माण के अधिकारी

5. आत्म प्रगति के आधारभूत साधन योग और तप

6. मनुष्य क्षमता से नहीं शालीनता से बड़ा हैं

7. आत्म-निरीक्षण और आत्म-नियन्त्रण की आवश्यकता

8. व्यवहार से ही ज्ञान की सिद्धि

9. अतीन्द्रिय क्षमताओं में प्रमुख दिव्य दृष्टि

10. जीवन और मरण की रहस्यमयी पहेली

11. जीवन मानव जीवन की सर्वोपरि सम्पदा

12. व्यक्तित्व का स्तर गिरायें नहीं, ऊँचा रखें

13. जीवन काल मनःस्थिति मरने के उपरान्त भी

14. षट्चक्र प्रचण्ड प्रवाहों के उद्गम

15. अविज्ञान की अनुकम्पा से महान् रहस्यों का प्रकटीकरण

16. सिद्धपीठ चलें शक्ति लेकर आयें

17. लूट-खसोट के अवरोध में सूक्ष्म-शक्तियों की भूमिका

18. प्राचीनता की हठ-सत्य के प्रति अत्याचार

19. अग्निहोत्र में तप और ध्वनि शक्ति का सूक्ष्म प्रयोग

20. यज्ञ की महिमा धर्म शास्त्र की दृष्टि में

21. उच्च रक्तचाप की महाव्याधि का संकट

22. ध्यान धारणा का आत्म निर्माण में योगदान

23. प्रशिक्षण और मार्गदर्शन की स्वयंभू शक्ति

24. अपनो से अपनी बात

25. नास्ति जीवन्तो सनातनः

26. करनी कुछ दिखलाओ

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