गुरुवार, 9 जून 2011

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1977

1. दिशा निर्धारण मनुष्य का अपना निर्णय

2. सन्त, सज्जनों की मनःस्थिति और आकांक्षा

3. इस सुव्यवस्थित सृष्टि का भी नियामक हैं

4. व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाली अति सूक्ष्म शक्तियाँ

5. कर्मफल और प्रायश्चित पर शास्त्र मत

6. प्रायश्चित प्रक्रिया के चार चरण

7. परामर्श किसका माने ? कितना माने ?

8. साधना का प्रयोजन और परिणाम

9. मरण को अस्वीकार करें और जीवन को खोजें

10. धर्म-निष्ठा का पर्याय चरित्र-निष्ठा

11. मन्त्र-साधना में वाक् शक्ति का विनियोग

12. प्राणायाम का उद्देश्य और स्वरूप

13. मित्र और शत्रु का अन्तर जानने की कसौटी

14. ध्यान योग द्वारा आत्मोत्कर्ष

15. काम-वासना का दुरूपयोग और सदुपयोग

16. चिन्ता की चिता अपने हाथों ही न जलाये

17. कुण्डलिनी साधना, स्वरूप और उद्देश्य

18. त्रिविध तनाव और उनसे छुटकारा

19. अपनो से अपनी बात

20. आशा का उद्यान-कविता

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