बुधवार, 8 जून 2011

अखण्ड ज्योति मार्च 1976

1. आत्मा की परमात्मा से पुकार

2. संकल्प के साथ शक्ति भी आवश्यक

3. शब्द शक्ति का परिष्कृत उपयोग मन्त्र साधना में

4. भावना, आनन्द और प्रावीण्य

5. गायत्री गान से सबका सब प्रकार कल्याण

6. साहस के बल पर मनुष्य बढ़ता और जीतता हैं

7. मनुष्य की प्राण ऊर्जा और उसका अभिवर्द्धन

8. सर्वतोमुखी समर्थता की अधिष्ठात्री गायत्री महाशक्ति

9. हँसता-हँसाता जीवन क्यों न जीया जाय

10. अवांछनीयता की जड़े काटनी पड़ेगी

11. हमारा मस्तिष्क दिव्य शक्तियों का भण्डार

12. अपने भाग्य भविष्य का निर्माण हम स्वयं ही करते हैं

13. औषधियों की गुलामी स्वीकार न करें

14. शक्ति का अजस्र स्त्रोत-आत्मविश्वास

15. गायत्री के 24 अक्षरों में सन्निहित दिव्य शक्तियाँ

16. विचार मात्र कल्पना नहीं शक्ति के पुंज हैं

17. योग के प्रति विश्व आकर्षण और हमारा उत्तरदायित्व

18. कुण्डलिनी महाशक्ति एक दिव्य ऊर्जा

19. अपनो से अपनी बात

20. अगले दिनों कुछ अति महत्वपूर्ण सत्र

21. अन्न को औषधि मानकर सेवन करे


22. सच्चा प्यार

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