सोमवार, 30 मई 2011

अखण्ड ज्योति जनवरी 1968

1. प्रकाश की आवश्यकता हमें ही पूरी करनी होगी

2. उपासना और साधना का प्रखर समन्वय

3. इस विषम वेला में हमारा महान् उत्तरदायित्व

4. जीवनोद्धेश्य की पूर्ति के लिए इतना तो करना होगा

5. हम समर्थ संघ शक्ति उत्पन्न करे

6. आध्यात्मिक स्तर पर उपासनात्मक अभियान द्वारा नव निर्माण

7. अन्तरिक्ष का परिष्कार-यज्ञ योजना द्वारा

8. विचार बदलें तो युग बदले

9. ज्ञान-यज्ञ को अधिकाधिक व्यापक बनाया जाय

10. जीवन कला और शिक्षा का समन्वित शिक्षण

11. चातुर्मास की साधना एवं शिक्षा का स्वर्ण सुयोग

12. लोक मंगल के लिए हम परमार्थ प्रयोजन में संलग्न हो

13. सेवा धर्म हमारे जीवन का अंग बने

14. आगामी बसन्त पंचमी इस तरह मनाये

15. आमंत्रण

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