मंगलवार, 24 मई 2011

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1966

1. नीव अच्छी होनी चाहिए

2. परमात्मा की प्राप्ति का दिव्य साधन-प्रेम

3. अधर्म की जननी-नास्तिकता

4. विचारों की उत्तमता ही उन्नति का मूलमन्त्र हैं

5. अशान्ति के चार कारण और उनका निवारण

6. विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण व्यक्ति इस तरह बने

7. मृत्यु हमारे जीवन का अनिवार्य अतिथि

8. आत्मोन्नति के लिए परिपुष्ट शरीर की आवश्यकता

9. परिवार को कुसंस्कारी न बनने दिया जाय

10. जीवन का उत्तरार्ध लोकसेवा में लगावे

11. श्रेष्ठता धन से नहीं धन्य कार्यों से प्राप्त होती हैं

12. पशु-पक्षियों को इतना न सताया जाय

13. ज्ञान का विकास एवं प्रसार एक महान् पुण्य कार्य हैं

14. सत्पुरूषों के प्रेरणाप्रद संस्मरण

15. गायत्री महाशक्ति का स्वरूप एवं रहस्य

16. अपनो से अपनी बात-हमारी भावी कार्य-पद्धति और उसका स्पष्टीकरण

17. स्थायी सदस्यों के लिए 20 आवश्यक सूचनाये

18. नवनिर्माण के अत्यन्त सस्ते ट्रेक

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