मंगलवार, 24 मई 2011

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1965

1. ईश्वर का महान् उपहार व्यर्थ न चला जाय

2. शास्त्र मन्थन का नवनीत

3. ईश्वर विश्वास किसी का निष्फल नहीं गया

4. कर्मों का फल ईश्वर के अर्पण कीजिए

5. सदा शुभ ही सोचिये, अशुभ नहीं

6. मानवता-हमारी बहुमूल्य विरासत

7. प्रियदर्शी सम्राट अशोक

8. साधना से शक्ति का अवतरण

9. मनुष्य जीवन का सत्य-हास्य

10. निराश मत हूजिए अन्यथा सब कुछ खो बैठेंगे

11. सच्चे संत-श्री तुका राम जी

12. स्वातन्त्र्य सिंहनी-श्रीमती सरोजिनी नायडू

13. दाम्पत्य जीवन की सफलता के रहस्य

14. जीवन इस तरह जिए

15. कण कण जोरे मन जुरे

16. दार्शनिकता को सार्थक बनाने वाले-कन्फ्यूशियस

17. महापुरूषों के विचार बिन्दु

18. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति-इस विशिष्ट घडि़यों में हमारा विशिष्ट कर्तव्य

19. देश, धर्म, समाज और संस्कृति के लिए भी कुछ करे

20. हम यह करने को कटिबद्ध हो

21. अपनो से अपनी किन्तु आवश्यक बातें

22. संस्कारों और पर्वों की पृथक-पृथक पुस्तकें

23. घर-घर में युग निर्माण पुस्तकालय स्थापित हो

24. उद्बोधन-राष्ट्र के लिए

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin