रविवार, 22 मई 2011

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1963

1. सच्चा आनन्द प्राप्त करने का मार्ग-महर्षि रमण

2. ऐसा स्वर भर (कविता)

3. सर्वांगीण विकास और उसका आधार

4. उत्कृष्ट विचारों का सतत् सानिध्य

5. इसके अतिरिक्त और कोई चारा नहीं

6. परिवर्तन कठिन नहीं-सरल हैं

7. युग निर्माण आत्म निर्माण से आरम्भ हो

8. यह आवश्यक हैं उपेक्षणीय नहीं

9. हम बदलेंगे तो जमाना भी बदलेगा

10. परिवार का पालन ही नहीं, निर्माण भी करे

11. मधु संचय (कविता)

12. ज्ञान यज्ञ के लिए समयदान

13. हमारी आज की कार्यपद्धति यह हो

14. युग निर्माण के उपयुक्त प्रबुद्ध व्यक्तियों की आवश्यकता

15. लघु कथायें

16. प्रगाढ़ स्नेह और सौजन्य का आह्वान

17. दिग्भ्रान्त साधक

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