शुक्रवार, 20 मई 2011

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1962

1. सत्-संकल्पमयी प्रार्थना

2. असुरता से देवत्व की ओर

3. परमात्मा की अनन्त अनुकम्पा और उसके दर्शन

4. सद्गुण भी हमारे ध्यान में रहे

5. कुसंग से आत्मरक्षा की आवश्यकता

6. प्रशंसा और प्रोत्साहन का महत्व

7. आलस में समय न गवाये

8. मितव्ययिता और आर्थिक संतुलन

9. यह सत्यानाशी सामाजिक कुरीतिया

10. पारिवारिक जीवन की समस्यायें

11. हम अशान्त और आतंकित न हो

12. यह करने के लिए हम कटिबद्ध हो जाय

13. नई प्रबुद्ध पीढ़ी का अवतरण

14. युग निर्माण केन्द्र और उनका बीस सूत्री कार्यक्रम

15. अग्नि परीक्षा की घड़ी में हमारा कर्तव्य

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