बुधवार, 4 मई 2011

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1952

1. मन का भ्रम।

2. सहयोग और सहिष्णुता।

3. स्वकर्म द्वारा ईश्वराराधन।

4. परम शांति का पथ।

5. बलवान ही विजयी होता है।

6. धर्मों का मूल आदर्श एक है।

7. कठिनाई का सामना करने को तैयार रहो।

8. स्थिर सुख का सरल साधन है।

9. भावुकता-एक अभिशाप भी !

10. प्राणायाम का आध्यात्मिक आधार।

11. भीष्म जी की धर्म शिक्षा।

12. जीवन का सदुपयोग।

13. ज्ञान प्राप्त करने में सदा संलग्न रहिए।

14. पूर्णाहुति एवं पुण्य प्रतिष्ठा।

15. गायत्री का विराट रूप दर्शन।

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