गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

संघर्ष

जीवन में आने वाली परीक्षा की घडि़यां त्रासदी या जीत हो सकती हैं, यह इस बात पर निर्भर करता हैं कि हम उनसे कैसे निपटते है। प्रयास के बिना विजय नहीं मिलती हैं। 

जीव विज्ञान का एक शिक्षक अपने छात्रों को पढ़ा रहा था कि कैसे इल्ली तितली में परिणत हो जाती है। उसने छात्रों से कहा कि अगले दो घण्टों में तितली, कोये (ककून) से बाहर निकलने के लिए जद्धोजहद करेगी, लेकिन इसमें किसी को तितली की मदद नहीं करनी चाहिए। उसके बाद शिक्षक चला गया। तितली कोये (ककून) से बाहर निकलने के लिए जद्धोजहद कर रही थी। एक छात्र को तितली पर दया आ गई और शिक्षक की सलाह के विपरीत उसने तितली की मदद करने का फैसला किया, ताकि उसे और ज्यादा संघर्ष न करना पड़े। लेकिन, थोड़ी देर बाद ही तितली मर गई। जब शिक्षक लौटा, तो उसे बताया गया कि क्या हुआ था। उसने छात्रों समझाया कि यह प्रकृति का नियम हैं कि कोये (ककून) से बाहर निकलने के लिए किया गया संघर्ष वास्तव में तितली के पंखों को विकसित और मजबूत बनाने में मदद करता हैं। तितली की सहायता कर लड़के ने तितली को उसके संघर्ष से वंचित कर दिया था और तितली मर गई। 

ठीक इसी सिद्धान्त को अपने जीवन में लागू करके देखें। जीवन में संघर्ष के बिना हासिल की गई कोई भी चीज मूल्यवान नहीं हैं। एक माता-पिता के रूप में हम उन्हें ही सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाते हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, क्योंकि हम उन्हें संघर्ष नहीं करने देते हैं, जिससे वे मजबूत नहीं बन पाते। 

-शिव खेड़ा

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