सोमवार, 7 मार्च 2011

देवियाँ देश की जाग जायें अगर

देवियाँ देश की जाग जायें अगर । 
युग स्वयं ही बदलता चला जायेगा । 
शक्तियाँ जागरण गीत गाएँ अगर । 
हर हृदय ही मचलता चला जायेगा । 

वीर संतान से कोख खाली नहीं । 
गोद में कौन-सी शक्ति पाली नहीं॥ 
जननियाँ शक्ति को साध पायें अगर । 
शौर्य शिशुओं में बढ़ता चला जायेगा । 

मूर्ति पुरुषार्थ में है सदाचार की । 
पूर्ति श्रम से सहज साध्य अधिकार की । । 
पत्नियां सादगी साध पायें अगर । 
पति स्वयं ही बदलता चला जायेगा॥ 

छोड़ दें नारियाँ यह गलत रूढ़ियाँ । 
तोड़ दें अंध विश्वास की बेड़ियाँ॥ 
नारियाँ दुष्प्रथायें मिटायें अगर । 
दम्भ का दम निकलता चला जायेगा॥ 

धर्म का वास्तविक रूप हो सामने । 
धर्म गिरते हुओं को लगे थामने॥ 
भक्तियाँ भावना को सजा लें अगर । 
ज्ञान का दीप जलता चला जायेगा॥ 

यह धरा स्वर्ग सी फिर सँवरने लगे । 
स्वर्ग की रूप सज्जा उभरने लगे॥ 
देवियाँ दिव्य चिंतन जगायें अगर । 
हर मनुज देव बनता चला जायेगा॥ 

माया वर्मा 

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin