सोमवार, 7 मार्च 2011

हरो विश्व विपदा श्री राम

हरो विश्व विपदा श्री राम, हे अन्तर्यामी सुखधाम । 

जब-जब विपत्ति धरा पर आई, दुख दर्दों की बदली छाई । 
तब-तब शपथ तुम्हीं ने खाई, और आसुरी वृत्ति जलाई । 
पुनः सम्भालो बिगड़े काम, अजर-अमर हे नाथ अकाम॥ 
हरो विश्व....................॥ 

तुमने ही हर युग में आकर, दमकाया कर्तव्य दिवाकर । 
अर्जुन को संदेश सुनाकर, रची विश्व हित गीता सुखकर॥ 
करते विनय सुबह और शाम, रचो परिस्थितियाँ अभिराम॥ 
हरो विश्व...................॥ 

असुर वृत्तियाँ दूर भगा दो, साहस और विवेक जगा दो । 
नवल सृजन में चित्त लगा दो, सद्गुण की गंगा उमगा दो॥ 
भरो प्रेरणा आठों याम हो समृद्घ नगरी और ग्राम॥ 
हरो विश्व...................॥ 

- बाबूलाल जलज 

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