सोमवार, 7 मार्च 2011

हे गुरुवर श्रीराम तुम्हारी

देवदूत बनकर आये, तपोपूत तुम कहलाये । 
ऋषि बनकर सबको भाये, नमन तुम्हें शत बार है॥ 

राष्ट्र धर्म में मस्त रहे, जप तप के अभ्यस्त रहे । 
नये सृजन में व्यस्त रहे, जान गया संसार है॥ 

तुमने कार्य महान किया, जगती का कल्याण किया । 
संस्कृति का उत्थान किया, जो युग का उपचार है॥ 

यज्ञ और गायत्री को, सविता को, सावित्री को । 
माता देवी धरित्री को, दिया नया उपहार है॥ 

संस्कृति को विज्ञान से, जीवन को सद्ज्ञान से । 
पौरूष को निर्माण से, जोड़ा सभी प्रकार है । 

वर्ग भेद को दूर किया, अहंकार को चूर किया । 
अनुशासन भरपूर दिया, जग का हुआ सुधार है॥ 

मिटा गये अज्ञान तुम, लुटा गये अनुदान तुम । 
बाँट गये वरदान तुम, यह अद्भूत व्यापार है । 

हे गुरुवर श्री राम तुम्हारी, महिमा अपरम्पार है॥ 

- विरेश्वर उपाध्याय 

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