शनिवार, 26 मार्च 2011

युग ऋषि का आह्वान

महाकाल प्रतिभावानों को युग नेतृत्व के लिये पुकार रहा है

“हम युग की पुकार का बार-बार उद्‍घोष कर रहें है। उचित है कि समय रहते इस युग पुकार को सुन लिया जाये। न सुना जायेगा तो अधिक तो हम क्या कहें – सिर्फ़ चेतावनी भर देते हैं कि अगले ही दिनों महाकाल प्रतिभाओं को व्यक्तिगत स्वार्थ साधन में जुटे रहने से मुक्त करा लेगा। कोई धन का मनमाना अपव्यय न कर सकेगा, किसी की बुद्धि व्यक्तिगत तृष्णा की पूर्ति में न लगी रहने पायेगी, किसी का बल वासना की पूर्ति में संलग्न न रहने दिया जायेगा। नोट करने वाले नोट कर लें, जिसे हम स्वेच्छा सज्जनता से अनुदान के रुप में मांग रहे है, वह यदि लोंगों से देते न बना, तो वह दिन दूर नहीं जबकि हर कृपण से इन दैवी विभूतियों को महाकाल लात मारकर उगलवा लेगा और तब बहुत देर तक कसक कराह भरा दर्द सहना पड़ेगा। आज वह त्याग, उदारता, आत्म सन्तोष और ऐतिहासिक यश के साथ किया जा सकने का अवसर है। अगले कुछ वर्ष के भीतर संसार में एक भी व्यक्ति अमीर न रह जायेगा। पैसा बँट जायेगा, पूँजीं पर समाज का निंयत्रण होगा और लोग केवल अपने निर्वाह मात्र के अर्थ साधन उपलब्ध कर सकेंगे। 

इन दिनो महाकाल प्रतिभावानों को युग नेतृत्व के लिये पुकार रहा है । सुयोग सौभाग्य का अनुपम अवसर सामने है। वासना, तृष्णा एवं अहंता के कुचक्र को तोड़कर जो योद्धा, सृजन सैनिक आगे बढेंगे, वे दिव्य अनुदानो के भागीदार बनेगें। जो उनसे चिपके रहने का प्रयास करेंगे वे दुहरी हानि उठायेंगे। महाकाल उन कुचक्रों को अपने भीषण प्रहार से तोड़ेगा, तब उससे चिपके रहने वालों पर क्या बीतेगी, सभंवतः अभी इसका अनुमान भी कोई लगा न पाए।

( यह उद्घोष युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का है )

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